बीकानेर: राजस्थान के रेगिस्तान में बसे बीकानेर में अभी दो तरफा का माहौल गर्माया हुआ है, एक मुद्दा राजनीति का है तो दूसरा पानी की किल्लत का है. हालात ये की नेता वोटर के पास जाने से कतराने लगे है ऐसे में आगामी लोकसभा चुनाव पर क्या असर डालता है देखना दिलचस्प होगा. 


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बीकानेर में आज कल राजनेता एक-एक वोट के लिए दर-दर घूम रहे है तो वहीं जनता एक-एक बूंद पानी के लिए भटक रही है या घंटो पानी की लाइन के खड़े रहने को मजबूर है. ऐसी परिस्थिति में नेता वोटर से कैसे अपने पक्ष में मतदान की अपील करेगे इसको लेकर नेताओ के चेहरों पर भी सिकन साफ दिखाई दे रही है. 


चार अप्रैल से नहरबंदी के बाद बीकानेर जिले में पानी की किल्लत बड़ी समस्या के रूप सामने आई है. हालात ये है की प्रेशर कम होने के कारण घरो तक पानी नहीं पहुच रहा. मजबूरन लोगों को पानी के स्टैण्ड पर घंटो लाइन लगा एक एक बूंद के लिए मशक्कत कर रहे है. वहीं ग्रामीण इलाकों के साथ शहरी क्षेत्र में लोगो को महंगे दामो में पानी के टैंकर घरो में डलवाना पड़ रहा है. वोटर भी इस बार नेताओ से हर गर्मी में होने वाली समस्या को लेकर प्रश्न दागने के मूड में है.


वहीं अगर बात करे जलदाय विभाग की तैयारी को लेकर तो अधिशाषी अभियंता दीपक बंसल ने जानकारी देते हुए बताया कि नहरबंदी के कारण स्टोरेज लगभग एक पखवाड़े का है. जलदाय विभाग ने लोगों को पानी देने के लिए ऑड-इवन सिस्टम लागू कर दिया हैं. जिसके तहत आम जनता को एक दिन छोड़ एक दिन पानी मुहैया करवाया जाएगा. साथ जिन इलाकों में पानी की सप्लाई के समय पम्प द्वारा पानी खिंचा जाता है उन इलाकों में टीम गठित की जाएगी.


ऐसे में देखना ये है की लोकसभा चुनावों में पानी पर राजनीति किस ओर करवट लेती है. कांग्रेस के उम्मीदवार की राज्य में सरकार तो वहीं भाजपा के उम्मीदवार खुद केंद्र में मंत्री है. वहीं पानी की समस्या कब हल होगी पता नहीं लेकिन फिलहाल चुनाव के दौर में यह समस्या नेताओ के राजनीतिक महत्वाकांक्षांओं पानी जरूर फेर सकती है.