दिल्ली : मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने केजी बेसिन गैस परियोजना के विकास खर्च को लेकर सरकार के साथ विवाद में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटकाया। कंपनी ने न्यायालय से सरकार की ओर से एक मध्यस्थ नियुक्त करने की अपील की है ताकि लागत की वसूली के बारे में उसके दावे का निपटरा हो सके।
 
सरकार ने केजी बेसिन में डी6 हाइड्रोकार्बन क्षेत्र के विकास में कंपनी की लागत वसूली के संबंध में मध्यस्थता के जरिए इस विवाद को निपटाने से इनकार कर दिया था जिसके बाद यह पहल की गई है। आरआईएल ने इस याचिका में कहा कि उसने भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एस पी भरुचा को मध्यस्थ के तौर पर नियुक्त किया था लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया। अपनी याचिका में आरआईएल ने मुख्य न्यायाधीश एस एच कपाड़िया से कहा कि वह सरकार की ओर से मध्यस्थ नियुक्त करें।
 
वकील समीर पारेख के जरिए दायर याचिका में कहा कि सरकार के साथ हुए अनुबंध के मुताबिक सरकार परियोजना के विकास से जुड़े कंपनी के खर्च की वसूल की राशि कम नहीं कर सकती। पेट्रोलियम मंत्रालय ने केजी डी6 क्षेत्र के विकास के लिए कंपनी की लागत वसूली की राशि करीब 6,343 करोड़ रुपए तक सीमित रखने का प्रस्ताव किया था।
 
आरआईएल ने 23 नवंबर 2011 को सरकार को पंचनिर्णय का नोटिस जारी किया था और अपनी ओर से उच्चतम न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एस पी भरूचा को पंच नियुक्त किया था और मंत्रालय से दूसरा मध्यस्थ नियुक्त करने के लिए कहा था। हालांकि सरकार ने आरआईएल की मांग को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि कोई विवाद ही नहीं है।  (एजेंसी)