Maintain Soil Health: देश के सभी राज्यों में अलग-अलग तरह की मिट्टी पाई जाती है. इसके मुताबिक ही उन जगहों पर अलग-अलग तरह की फसलें (Soil Based Farming) लगाई जाती हैं. भारत की मिट्टी दुनिया में किसी भी देश की मिट्टी से अलग है, क्योंकि दूसरे देशों के मुकाबले यहां की मिट्टी ज्यादा उपजाऊ है.


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हालांकि, जनसंख्या वृद्धि के कारण ज्यादा उत्पादन लेने के चलते रसायनों का ज्यादा से ज्यादा उपयोग क्या जाने लगा है. ऐसे में यहां जानें की मिट्टी को उसकी खोई हुई उर्वरा शक्ति कैसे लौटाई जा सकती है.


ऐसे लौटाए मिट्टी की उर्वरा शक्ति 
वैसे तो खेतों की मिट्टी पर रिसर्च होती ही रहती है. ऐसी ही एक रिसर्च के मुताबिक आज दुनिया भर में केवल 52 प्रतिशत मिट्टी ही ऐसी है. जिस पर खेती की जा सकती है. ऐसे में किसानों का ध्यान इस ओर ले जाना बहुत जरूरी है. उन्हें समय रहते इसके प्रति जागरुक करने और जैविक खेती के साथ ही दूसरे जैव उपायों को आजमाकर खेतों की जमीन को बचाना बहुत ही जरूरी है.


दलहन की खेती 
कृषि विशेषज्ञों की माने तो लगातार पारंपरिक फसलों नहीं उगानी चाहिए. इससे मिट्टी की पावर कम होती है और अगली फसल के उत्पादन पर भी असर पड़ता है. इस समस्या का उपाय है कि दालों की खेती की जाए. दरअसल, दलहनी फसलों की खेती करके मिट्टी में जरूरी पोषण तत्वों की पूर्ति होती है. वहीं, मिट्टी को प्राकृतिक तरीके से ही उर्वरता मिलती है. ऐसे में पारंपरिक फसलों के बाद अगले फसल चक्र में दलहनी फसल जरूर लगाएं.


ऐसे बनेगी जैविक खाद 
भारत में कई किसान उर्वरकों या रसायनों की बजाए विभिन्न प्रकार की जैविक खाद और एंजाइम्स का इस्तेमाल करते हैं. इनमें ढैंचा, बरसीम और सनई के साथ-साथ दलहनी फसलें उगा शामिल हैं. इन फसलों के बाद खेत में पड़े इनके अवशेष पर यूरिया डालकर जैविक खाद बनाई जाती है, जो मिट्टी में विघटित होकर खेत को संजीवनी जैसी शक्ति देती है. मिट्टी की शक्ति को लौटाने के लिए खेत में अजोला उगाकर खेत में ही डालें.


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