Food Product: बिजनेस बढ़ाने के लिए इस देश की भारत पर नजर, खाद्य उत्पादों के लिए छोटे शहरों पर निगाह
Food Products in India: महत्वपूर्ण बात यह है कि 2007 में व्यापार में आंशिक समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद से पिछले 15 वर्षों के दौरान दोनों देशों के बीच व्यापार संबंध गहन रूप से बढ़े हैं. रुइज़ ने कहा, ‘‘दोनों देशों के बीच व्यापार लगभग 500 प्रतिशत बढ़ा है. हम देख सकते हैं कि अब इसे और आगे जाने की जरूरत है.’’
Food in India: बड़े भारतीय शहरों में कृषि-उत्पाद खंड में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के बाद चिली अब शराब, अखरोट और अन्य सूखे मेवों के अपने प्रीमियम उत्पादों के लिए भारत के छोटे शहरों में अपनी उपस्थिति मजबूत करने का इच्छुक है. यह लातिनी अमेरिकी देश अपने ग्राहकों को उत्पादों के उत्पत्ति स्थल के बारे में भी बताना चाहता है. इसके अलावा यह ‘चिली वाइन’ और अन्य कार्यक्रमों पर एक मास्टरक्लास के माध्यम से ब्रांड निर्माण अभियान शुरू करने के लिए तैयार है.
भारत में नए बाजार
विदेश मंत्रालय की निर्यात को बढ़ावा देने में काम में लगी इकाई ‘प्रो-चिली’ के महानिदेशक, इग्नासियो फर्नांडीज रुइज़ ने बताया, ‘‘यहां काफी लोगों की दिलचस्पी है. यहां एक बड़ा अवसर है, हम इसे बढ़ाने जा रहे हैं. हम न केवल बड़े शहरों की बात कर रहे हैं, बल्कि दूसरी और तीसरी श्रेणी के शहरों पर भी ध्यान दे रहे हैं.’’ रुइज ने कहा कि प्रो चिली भारत में नए बाजारों की पहचान करने के लिए स्थानीय आयातकों और व्यवसायियों के साथ बातचीत कर रही है.
व्यापार समझौता
चिली भारत को अखरोट, वाइन, चेरी, कीवी, प्रून निर्यात करता रहा है और तरजीही व्यापार समझौते के तहत खाद्य उत्पादों की संख्या भी बढ़ाने को इच्छुक है. चिली भारत के साथ व्यक्तिगत रूप से एक व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने वाला पहला लातिनी अमेरिकी देश था और वर्तमान में दोनों देशों ने आंशिक दायरे के समझौते को बनाया हुआ है, 2017 में लागू हुआ था. उन्होंने कहा कि भारत के पक्ष में व्यापार संतुलन के साथ भारत और चिली के बीच व्यापार दो अरब डॉलर से ऊपर का है.
व्यापार लगभग 500 प्रतिशत बढ़ा
महत्वपूर्ण बात यह है कि 2007 में व्यापार में आंशिक समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद से पिछले 15 वर्षों के दौरान दोनों देशों के बीच व्यापार संबंध गहन रूप से बढ़े हैं. रुइज़ ने कहा, ‘‘दोनों देशों के बीच व्यापार लगभग 500 प्रतिशत बढ़ा है. हम देख सकते हैं कि अब इसे और आगे जाने की जरूरत है.’’ (इनपुट: भाषा)
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