IBC से घटी लोन की वसूली, समय भी अधिक लग रहा: CRISIL
CRISIL News: बैंकरप्सी कोड से भारत में लोन संस्कृति को बेहतर बनाने में मदद मिली है, लेकिन पिछले कुछ सालों में लोन वसूली घटी है और कर्ज समाधान का समय भी बढ़ता जा रहा है. साख निर्धारित करने वाली एजेंसी क्रिसिल रेटिंग ने शुक्रवार को यह बात कही.
CRISIL News: बैंकरप्सी कोड से भारत में लोन संस्कृति को बेहतर बनाने में मदद मिली है, लेकिन पिछले कुछ सालों में लोन वसूली घटी है और कर्ज समाधान का समय भी बढ़ता जा रहा है. साख निर्धारित करने वाली एजेंसी क्रिसिल रेटिंग ने शुक्रवार को यह बात कही. ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवाला संहिता (IBC) लागू होने के सात वर्षों की अवधि के विश्लेषण पर आधारित एक टिप्पणी में क्रिसिल ने कहा कि बकाया कर्ज की वसूली दर सितंबर, 2023 में गिरकर 32 प्रतिशत रह गई है जबकि मार्च, 2019 में यह 43 प्रतिशत थी.
इसके साथ ही कर्ज समाधान प्रक्रिया के पूरा होने में लगने वाला औसत समय भी 324 दिन से बढ़कर 653 दिन हो गया है. हालांकि, कानून में इस कार्य के लिए निर्धारित अवधि 330 दिनों की है.
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि आईबीसी लागू होने के बाद पिछले सात वर्षों में 808 मामलों में फंसे 3.16 लाख करोड़ रुपये के कर्ज के निपटान में मदद मिली है. क्रिसिल के वरिष्ठ निदेशक मोहित मखीजा ने कहा कि आईबीसी भारत के कॉरपोरेट ऋण इतिहास का "सबसे शक्तिशाली कानून" है जिसने कर्जदारों के व्यवहार को भी बदलने का काम किया है.
मखीजा ने कहा, "कंपनियों को गंवा देने के डर से आईबीसी के समक्ष मामला लाए जाने के पहले ही नौ लाख करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज निपटाया जा चुका है. यह इस कानून के सहारे निपटाए गए तनावग्रस्त ऋण का लगभग तीन गुना है."
इसके साथ ही क्रिसिल ने कर्ज की वापसी और कर्ज समाधान के मोर्चे से जुड़ी चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा कि इन बाधाओं को दूर करने की जरूरत है. इसके लिए न्यायाधिकरण की पीठों की संख्या बढ़ाने और कर्ज चूक की पहचान में होने वाली देरी कम करने पर ध्यान देना होगा.
एजेंसी के निदेशक सुशांत सरोडे ने कहा कि आईबीसी कानून के तहत 13,000 मामले लंबित चल रहे हैं जिनमें 2,073 मामलों में कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया शुरू हो चुकी है.
इनपुट - भाषा एजेंसी