Equity Market Investment: इक्विटी मार्केट में बैंक की फिक्स्ड डिपॉजिट (Bank FD) स्कीम से बेहतर है. क्योंकि इसमें लगभग दोगुना ज्यादा रिटर्न तो मिलता है. बावजूद इसके इस मार्केट के साथ एक विरोधाभासी तथ्य भी जुड़ा हुआ है. दरअसल, मार्केट रेगुलेटर सेबी की हाल ही की एक स्‍टडी रिपोर्ट जानकर आप हैरान रह जाएंगे.


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इस रिपोर्ट के मुताबिक इक्विटी मार्केट (Equity Market) में 85 प्रतिशत से ज्यादा ट्रेडर्स के पैसे डूबे हैं. इसका मतलब है कि उन्हें नुकसान उठाना पड़ा है, जो एक विरोधाभास है. अगर आप भी इसमें पैसा लगाने के बारे में सोच रहे हैं और अच्छा प्रॉफिट पाना चाहते हैं तो ये खबर आपके लिए है. यहां जानिए कि आखिर इक्विटी मार्केट में निवेश करने का सबसे अच्छा तरीका क्या है, जिससे निवेशकों को मुनाफा हो?


निवेश करने का सही वक्त
ज्यादातर निवेशकों के मन में सवाल होता है कि निवेश करने का सही समय क्या है, जैसे आज इक्विटी खरीदनी चाहिए या कल इक्विटी बेचनी चाहिए? ऐसे में खुद से पूछे कि आप कितने समय तक बाजार में अपना निवेश बनाए रहना चाहते हैं.


कितना रिस्क लेने के लिए हैं तैयार?
इक्विटी मार्केट में निवेश की शुरुआत करने से पहले इस बात पर अच्छी तरह आप बाजार का कितना रिस्क उठा सकते हैं. अगर आने वाले 6 महीनों में आपको इमरजेंसी में फंड की जरूरत पड़ सकती हैं, तो ऐसे में इक्विटी से बिल्कुल दूर रहें. हालांकि, अगर निवेश का लक्ष्य लॉन्ग टर्म का है तो इक्विटी का इस्तेमाल कर सकते हैं. मौजूदा समय में लंबी अवधि को ध्यान रखकर ही शेयर बाजार में निवेश करें. 


Market में होता रहता है उतार-चढ़ाव
बाजार शॉर्ट टर्म में स्वाभाविक तौर पर अस्थिर होते हैं. बाजार में कुछ गिरावट आती है, लेकिन बाजार हमेशा के लिए नीचे नहीं बने रहते. उनमें अच्छी खासी तेजी भी आती है. ऐसे में निवेशक के लिए इक्विटी में पैसा लगाकर लंबी अवधि में पैसा कमाने का यह बेहतर अवसर हो सकता है. 


ये है इक्विटी का गोल्डन रूल 
इस रूल के मुताबिक आप अपने एसेट एलोकेशन को तय करें. रोजाना के रेट्स के उतार-चढ़ाव पर ध्यान देने की अपेक्षा निवेश के लक्ष्य पर बने रहें. म्यूचुअल फंड मार्केट रिस्क को कम करने के लिए एसआईपी और एसटीपी जैसे ऑप्शन देता है.


दरअसल, मार्केट के अलग-अलग लेवल पर खरीदारी करने से निवेशकों को रुपये की औसत लागत का बेनिफिट मिलता है. वहीं, एसेट एलोकेशन और निवेश विकल्प तय करने के लिए प्रोफेशनल एडवाइजर्स और म्यूचुअल फंड डिस्‍ट्रीब्‍यूटर्स की हेल्प लेना चाहिए.