Saving Tips: हर किसी की सैलरी समान नहीं होती है. सैलरी लोगों की कम ज्यादा हो सकती है. ऐसे में कम सैलरी वालों की हमेशा ये शिकायत रहती है कि वो सेविंग करना तो चाहते हैं लेकिन सेविंग कर नहीं पाते हैं. ऐसे में एक अहम टिप के जरिए लोग कम सैलरी से भी बचत कर सकते हैं. कम सैलरी के कारण लोग सेविंग से वंचित न रहे, इसके लिए कुछ उपाय करना काफी जरूरी है. ऐसे में आइए जानते हैं कि कैसे कम सैलरी के बावजूद साल में मिनिमम सेविंग के लिए कदम बढ़ाए जा सकते हैं.


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इतनी होनी चाहिए सेविंग


लोगों की सैलरी कितनी भी हो, बचत की आदत जरूर डालनी चाहिए. ऐसे में लोगों को कम से कम एक साल में अपनी सैलरी में से 10 फीसदी हिस्सा सेविंग के लिए जरूर बचाना चाहिए. मसलन अगर लोगों की साल में कमाई 3 लाख रुपये है तो उन्हें कम से कम उसका 10 फीसदी हिस्सा यानी 30 हजार रुपये साल में सेविंग जरूर करनी चाहिए. वहीं अगर 10 लाख रुपये साल की सैलरी है तो यही 10 फीसदी का आंकड़ा 1 लाख रुपये हो जाता है.


मिनिमम सेविंग


10 फीसदी हिस्सा सैलरी का मिनिमम हिस्सा हो गया, जो साल में बचत के तौर पर सेव किया जा सकता है. 10 फीसदी से ज्यादा अगर बचत कर सकते हैं तो वो प्लस ही माना जाएगा. ये फॉर्मूला अमीर और गरीब हर तबके पर लागू होता है. अमीर लोग भी मिनिमम 10 फीसदी जरूर बचाने की कोशिश करें.


जरूर बचाएं पैसा


10 फीसदी हिस्सा अगर हर साल सैलरी या इनकम से बचाया जाएगा तो लोग उससे एक अच्छा फंड तैयार कर सकते हैं, जो कि लोगों की जरूरतों को पूरा करने में या फिर लोगों के परेशानी में काम आ सकेगा. ऐसे में अपनी सैलरी से मिनिमम 10 फीसदी हिस्सा जरूर बचाने की कोशिश करें.