Kundru Ki Kheti: अगर आप अपने खेतों में कोई ऐसी फसल लगाना चाहते हैं, जिसमें लागत तो कम हो लेकिन मुनाफा खूब बढ़िया मिले तो हमारे पास आपकी इस समस्या का समाधान है. हम आपको एक ऐसी फसल के बारे में बता रहे है, जिसे अपने खेत में लगाकर आप मोटा पैसा कमा सकते हैं. हम बात कर रहे हैं  कुंदरू की खेती (Kundru Farming) की. 


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ऐसे होती है कुंदरू की खेती 
आप कुंदरू की फसल कहीं भी लगा सकते हैं. देश के गर्म इलाकों में भी यह फसल अच्छा फायदा देती है. वहीं, जहां बहुत ज्यादा ठंड पड़ती है वहां 7-8 महीने ही फसल मिल पाती है, क्योंकि इस सीजन में पैदावार कम होती है. वहीं, मचान तैयार करके कुंदरू की खेती करने पर आप और भी ज्यादा पैदावार ले सकते हैं.


अच्छी पैदावार के लिए ये करें
बलुई दोमट मिट्टी वाले खेत में कुंदरू का उत्पादन बहुत बढ़िया होता है. वहीं, मिट्टी का पीएच 7 पॉइंट से ज्यादा नहीं होना चाहिए. इसकी बेहतर फसल के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु सबसे बढ़िया मानी जाती है. इसकी अच्छी पैदावार चाहिए तो 30-35 डिग्री टेम्प्रेचर के बीच बहुत अच्छा होता है.


खेत तैयार करते समय इसमें पर्याप्त मात्रा में गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट डालना न भूलें. इसकी फसल लगाने के लिए सबसे पहले बीजों से नर्सरी तैयार करना पड़ता है और उसके बाद बुआई की जाती है. कुंदरू की अच्छी पैदावार के लिए उन्नत किस्म के बीजों को ही चुनें, वरना आप अपना ही नुकसान कर बैठेंगे. 


बारिश का मौसम है सबसे अच्छा
बारिश में कुंदरू की बुवाई करने से फसल आसानी से जड़ पकड़ लेगी और तेजी से ग्रोथ करेगी. जब पौधों की बेल बनने लगें तो बांस और तार की मदद से मचान तैयार करना होगा. इसके बाद कुंदरू की बेलों को मचान पर चढ़ा दें.


ऐसे करें सिंचाई
कुंदरू की फसल में गर्मी में 4-5 दिन के अंतर में और सर्दियों में 8-10 दिनों  में सिंचाई की जरूरत पड़ती है. रोपाई के करीब 2 महीने से भी कम समय में कुंदरू की फसल तैयार हो जाती है. आप पहली बार 45-50 दिन में इसे हार्वेस्ट कर सकते हैं. इसके बाद हर 4-5 दिन में आप इसकी तुड़ाई कर सकते हैं. 


कितना है मुनाफा? 
प्रति हेक्टेयर खेती से आपको 300-450 क्विंटल तक का उत्पादन हो सकता है. फुटकर बाजार में कुंदरू 80-100 रुपये किलो और थोक में  40-50 रुपये किलो के हिसाब से बिकता है. इस तरह आर  400 क्विंटल की पैदावार को 40 रुपये के हिसाब से भी बेचे तो आप 16 लाख रुपये कमा सकते हैं. वहीं, एक बार बुवाई के बाद लगभग 4 साल तक आपको उत्पादन मिलता रहेगा.