Rice in India: मोदी सरकार ने एक बार फिर से बड़ा ऐलान कर दिया है. इस ऐलान का असर देश के निर्यात पर देखने को मिल सकता है. वहीं सात देशों पर भी इसका असर दिखाई देगा. दरअसल, देश में चावल की काफी पैदावार होती है. भारत में लोग भी काफी रुचि लेकर चावल खाते हैं. वहीं दूसरे देशों को भी भारत से चावल का काफी निर्यात किया जाता है. अब कुछ देशों को मोदी सरकार की ओर से चावल के निर्यात की अनुमति प्रदान की गई है. आइए जानते हैं इनके बारे में...


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चावल का निर्यात


सरकार ने नेपाल, कैमरून और मलेशिया सहित सात देशों को 10 लाख टन से ज्यादा गैर-बासमती चावल के निर्यात की इजाजत दी है. इसमें 10,34,800 टन गैर-बासमती चावल के निर्यात की अनुमति दे दी है. विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) की ओर से इसको लेकर जानकारी भी दी गई है, जिसमें सारी डिटेल बताई गई है. साथ ही ये भी जानकारी दी गई है कि किस देश को कितना चावल निर्यात किया जाएगा.


बासमती चावल


विदेश व्यापार महानिदेशालय की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक, यह निर्यात राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लि. (एनसीईएल) के जरिए किया जा सकता है. हालांकि, भारत ने घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के लिए 20 जुलाई से गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया हुआ है, लेकिन कुछ देशों की खाद्य सुरक्षा जरूरत के मद्देनजर सरकार उनके लिए गैर-बासमती चावल के निर्यात की अनुमति देती है.


ये देश हैं शामिल


सरकार ने जिन देशों का नाम इसमें शामिल किया है उनमें नेपाल, कैमरून, कोटे डी आइवर, गिनी, मलेशिया, फिलिपीन और सेशल्स शामिल है. इन देशों को अब गैर-बासमती चावल के निर्यात की अनुमति दी है. अधिसूचना के अनुसार, नेपाल को 95000 टन, कैमरून को 190000 टन, कोटे डी आइवर को 142000 टन, गिनी को 142000 टन, मलेशिया को 170000 टन, फिलिपीन को 295000 टन और सेशेल्स को 800 टन गैर-बासमती चावल का निर्यात किया जाएगा. (इनपुट: भाषा)