Oil Pricec in India: विदेशों में सूरजमुखी तेल कीमतों में मामूली सुधार के बीच स्थानीय तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह अधिकांश खाद्य तेल-तिलहन कीमतों में सुधार का रुख देखने को मिला. कच्चे पामतेल (सीपीओ) और पामोलीन में आई गिरावट को छोड़कर सरसों, मूंगफली, सोयाबीन तेल-तिलहन और बिनौला तेल कीमतों में मजबूती दर्ज हुई. बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि बीते सप्ताह विदेशों में सूरजमुखी तेल के दाम 10 डॉलर प्रति टन बढ़कर 1,060-1,070 डॉलर प्रति टन हो गए, जबकि सोयाबीन के दाम पहले जैसे ही हैं. देश में सरसों, मूंगफली और बिनौला के अच्छे माल की कमी है. सरसों में काफी माल में बरसात के कारण नमी है और इसका केवल रिफाइंड ही बन सकता है. अच्छे सरसों का स्टॉक नेफेड और किसानों के पास है और सरकार को बगैर कोई जल्दबाजी दिखाये त्योहारों के दौरान ही इसको निकालना चाहिये. इससे सरसों की बिजाई भी आसानी से हो पायेगी. मूंगफली और बिनौले का स्टॉक बेहद कम है और अगली फसल आने में अभी कुछ समय लगेगा.


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खरीफ बुवाई
सूत्रों ने कहा कि खरीफ बुवाई के दौरान कपास, मूंगफली और सूरजमुखी की बिजाई का रकबा कम होना चिंता की बात है. कपास का रकबा पिछले साल से लगभग एक प्रतिशत कम है जबकि मूंगफली खेती के रकबे में आधा प्रतिशत की गिरावट है और सूरजमुखी के खेती के रकबे में लगभग 67 प्रतिशत की कमी आई है. कपास खेती के बाद उससे निकलने वाले बिनौले से खाद्य तेल के अलावा सबसे अधिक खल की प्राप्ति होती है. मूंगफली की मौजूदा मांग और हर साल मांग बढ़ने की स्थिति को देखते हुए इस बार मूंगफली के रकबे का घटना चिंताजनक है.


तेल-तिलहन का उत्पादन
सूत्रों ने कहा कि खाद्य तेलों के मामले में हमें आयात पर निर्भर होने के बजाय देशी तेल-तिलहन का उत्पादन बढ़ाने पर जोर देना होगा. सस्ते आयात को नियंत्रित कर इन देशी तेल- तिलहनों का बाजार भी विकसित करना होगा और इसके लिए जरूरी है कि देशी खाद्य तेलों की पेराई मिलें पूरी क्षमता से काम कर सकें. इन बातों को केन्द्र में रखकर ही हमें आयात और आयात शुल्क बढ़ाने-घटाने के संबंध में फैसला लेना चाहिये. फिलहाल बिनौला, मूंगफली, सरसों की आधे से अधिक पेराई मिलें बंद हो चुकी हैं. यही हाल रहा तो उत्पादन बढ़ाने से कोई लाभ नहीं होने वाला है. सरसों की कीमत खुले बाजार में अब भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम है. सस्ते आयातित तेलों की भरमार बाजार के माहौल को मंदा किये हुए है.


बिनौला खल
सूत्रों ने कहा कि देश में बिनौले खल का सालाना एक करोड़ 10 लाख टन के लगभग उत्पादन होता है. इसमें से एनसीडीईएक्स के पास मात्र 28,000 टन का ही स्टॉक है और उसने अगस्त सितंबर के लिए सौदे लगभग 95,000 टन के कर रखे हैं. इससे बाजार की पूरी कारोबारी धारणा पर असर आता है. वायदा कारोबार में बिजाई के समय से यानी पिछले तीन महीने में बिनौले खल के दाम में लगभग 26 प्रतिशत गिरावट देखी जा रही है.


सरसों दाना
पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 175 रुपये सुधरकर 5,700-5,750 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ. सरसों दादरी तेल का भाव 200 रुपये सुधरकर 11,000 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ. सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव 20-20 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 1,815-1,895 रुपये और 1,815-1,925 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ. समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज का भाव क्रमश: 190 रुपये और 90 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 5,090-5,185 रुपये प्रति क्विंटल और 4,855-4,950 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ.


कीमत
सप्ताहांत में सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम तेल के भाव भी क्रमश: 60 रुपये, 50 रुपये और 150 रुपये बढ़कर क्रमश: 10,560 रुपये, 10,350 रुपये और 8,900 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए. माल की कमी और निर्यात की मांग से समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तिलहन, मूंगफली गुजरात और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड के भाव क्रमश: 325 रुपये, 700 रुपये और 105 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 7,750-7,800 रुपये, 18,700 रुपये और 2,705-2,990 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए.


कच्चा पाम तेल
दूसरी ओर, अत्यधिक आयात के कारण समीक्षाधीन सप्ताह में कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव 100 रुपये की गिरावट के साथ 8,300 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ. पामोलीन दिल्ली का भाव 100 रुपये घटकर 9,600 रुपये प्रति क्विंटल और पामोलीन एक्स कांडला का भाव समीक्षाधीन सप्ताहांत में 50 रुपये घटकर 8,700 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ. तेजी के आम रुख के अनुरूप बिनौला तेल समीक्षाधीन सप्ताह में 350 रुपये सुधरकर 9,700 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ.