Saving Tips: नौकरीपेशा लोगों को हर महीने के आखिर में वेतन मिलता है. वेतन के जरिए लोग अपने खर्चे निकाल सकते हैं. वहीं जब बचत की बात आती है तो कई लोग बचत कर ही नहीं पाते हैं और कई लोग ये सोचते हैं कि आखिर सैलरी में से कितना बचाया जाए. यहां हम आपको बताने वाले हैं कि जब भी आपकी सैलरी आए तो आपको कितना बचाना चाहिए और इसके लिए क्या गणित लगानी चाहिए.


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सेविंग
हर कोई इंसान बचत नहीं कर पाता है. सभी लोगों की सैलरी अलग-अलग होती है और सभी लोगों के खर्चे भी अलग-अलग होते हैं. ऐसे में लोगों को सैलरी आते ही सेविंग की आदत डाल लेनी चाहिए. लोग जितना ज्यादा सेविंग पर ध्यान देंगे, उतना ज्यादा फ्यूचर सिक्योर करके चलेंगे. ऐसे में लोगों को सेविंग के लिए एक खास तरीका अपनाना चाहिए.


खर्चों का आंकलन
दरअसल, लोगों को पहले एक टारगेट बनाना चाहिए कि उन्हें सेविंग क्यों करनी है और किस लिए करनी है. लोगों को ये देखना चाहिए कि उनकी जरूरतें क्या हैं और उनको अपनी जरूरत कितने महीने में या साल में पूरी करनी है. जैसे ही लोगों को अपनी जरूरतें पता चल जाएगी तो उन्हें पूरा करने के लिए उन्हें खर्चे का आंकलन करना चाहिए.


लगाएं ये गणित
जब आपको अपनी जरूरत पता चल गई, उस जरूरत को पूरा करने के लिए कितना खर्च होगा इसका पता चल गया, साथ ही कितने वक्त में वो जरूरत पूरी करनी है इसका भी पता चल गया तो लोगों को उस हिसाब से कैलकुलेट करना होगा कि उन्हें हर महीने कितने रुपयों की सेविंग करनी है, जिससे वो उस समय के हिसाब से अपने टारगेट पर पहुंच जाएं. ऐसे में आप इस गणित के हिसाब से हर महीने अपने सेविंग की प्लानिंग कर सकते हैं.


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