Fact Check: 188 साल के बाबा? बेंगलुरु की गुफा से किए गए रेस्क्यू, जानें वायरल वीडियो का सच
सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें दावा किया गया है कि बेंगलुरु के पास एक गुफा से 188 साल के बाबा को रेस्क्यू किया गया है. आइए जानते हैं इस वायरल वीडियो की सच्चाई क्या है?
सोशल मीडिया पर कब क्या पोस्ट वायरल हो जाए, किसी को पता नहीं होता. अब सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें दावा किया गया है कि बेंगलुरु के पास एक गुफा से 188 साल के बाबा को रेस्क्यू किया गया है. वीडियो में देखा जा सकता है कि दो लोग एक बुजुर्ग को सहारा देकर चलने में मदद कर रहे हैं. इस व्यक्ति की सफेद दाढ़ी है और वह झुके हुए हैं. उनके हाथ में एक छड़ी भी है जिससे वह अपना संतुलन बनाए रखते हैं.
वीडियो को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर 'Concerned Citizen' नामक हैंडल द्वारा शेयर किया गया. इस पोस्ट ने तुरंत ध्यान आकर्षित किया और इसे करीब 30 मिलियन (3 करोड़) से ज्यादा बार देखा गया. पोस्ट में लिखा था कि यह भारतीय व्यक्ति एक गुफा से अभी-अभी मिला है. दावा किया जा रहा है कि ये 188 साल के हैं. अविश्वसनीय!
हालांकि, इस वीडियो के दावे पर तुरंत संदेह किया गया और कई रिपोर्ट्स में बताया गया कि वीडियो में दिखने वाले व्यक्ति की उम्र 188 साल नहीं है, बल्कि वह एक 110 वर्षीय हिंदू संत हैं, जो मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं. X ने भी इस पोस्ट पर एक डिस्क्लेमर जारी किया, जिसमें कहा गया कि इस व्यक्ति की बताई गई उम्र सटीक नहीं हो सकती. X की नोट में लिखा गया, "गलत सूचना! यह वृद्ध व्यक्ति मध्य प्रदेश के 'सियाराम बाबा' नामक एक हिंदू संत हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार, उनकी उम्र लगभग 110 साल है. इसके अलावा, एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए X ने बताया कि वीडियो में दिख रहे वृद्ध व्यक्ति की असली पहचान 'सियाराम बाबा' है, जो मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में रहते हैं.
डेटा वेरिफिकेशन ग्रुप D-Intent Data ने भी इस वायरल वीडियो को भ्रामक करार दिया. D-Intent Data ने अपने X हैंडल पर लिखा, "विश्लेषण: भ्रामक. तथ्य: कुछ लोगों द्वारा एक वृद्ध व्यक्ति की मदद करते हुए दिखाए जाने वाले वीडियो को शेयर किया गया है, जिसमें दावा किया गया है कि 188 साल के बुजुर्ग को गुफा से निकाला गया है. लेकिन सच्चाई यह है कि ये दावे झूठे हैं. यह व्यक्ति 'सियाराम बाबा' नामक संत हैं, जिनकी उम्र लगभग 110 साल है.
इस मामले ने यह स्पष्ट कर दिया कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रही खबरें अक्सर भ्रामक हो सकती हैं और तथ्यों की जांच करना बेहद जरूरी है.