नॉर्मल जिंदगी जीना गुनाह है क्या? IAS ऑफिसर के दिव्यांगता पर उठे सवाल तो दिया मुंहतोड़ जवाब
IAS Officer Praful Desai: प्रफुल्ल देसाई कर्नाटक के बेलगावी जिले के एक किसान परिवार से आते हैं. उन्हें पांच साल की उम्र में पोलियो हो गया था, जिससे उनके बाएं पैर में दिक्कत रह गई. उन्होंने बताया कि वह चल तो सकते हैं और साइकिल चला भी सकते हैं, लेकिन दौड़ नहीं पाते.
Telangana IAS Praful Desai: तेलंगाना के एक IAS अधिकारी प्रफुल्ल देसाई ने UPSC की सिविल सेवा परीक्षा में आरक्षण पाने के लिए फर्जी विकलांग प्रमाण पत्र बनवाने के आरोपों को खारिज कर दिया है. ऑफिसर पर आरोप है कि उन्होंने विकलांग कोटे का गलत इस्तेमाल किया. उनका कहना है कि उनकी विकलांगता उन्हें शारीरिक गतिविधियों करने से नहीं रोकती, जो उनकी ट्रेनिंग का हिस्सा थीं. प्रफुल्ल देसाई को लेकर ये परेशानी तब शुरू हुई जब सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीरें सामने आईं जिनमें वो घुड़सवारी, राफ्टिंग और साइकिलिंग जैसी साहसी गतिविधियां करते दिख रहे हैं.
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सोशल मीडिया पर लोगों ने उठाया था सवाल
सोशल मीडिया पर लोगों का कहना है कि ये गतिविधियां उस दिव्यांगता से मेल नहीं खातीं जिसका दावा उन्होंने किया था और उसी आधार पर उन्हें आरक्षण के जरिए नौकरी मिली. अपना बचाव करते हुए प्रफुल्ल देशाई ने कहा कि हालांकि उन्हें विकलांगता है, लेकिन ये उन्हें कुछ खास शारीरिक गतिविधियां करने से नहीं रोकती. उन्होंने एक बयान में कहा कि, "कुछ लोग जो मेरी बेंचमार्क विकलांगता प्रमाण पत्र पर सवाल उठा रहे हैं और गलत जानकारी फैला रहे हैं, मैं उन्हें स्पष्ट करना चाहता हूं कि मैंने यूपीएससी परीक्षा के लिए सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी बेंचमार्क विकलांगता प्रमाण पत्र के साथ आवेदन किया था."
IAS ऑफिसर ने पोस्ट के जरिए दिया मुंहतोड़ जवाब
IAS अधिकारी प्रफुल्ल देसाई ने आगे कहा, "मैं एक शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्ति हूं और अपनी सीमाओं को पार कर दूसरों की तरह सामान्य जीवन जीने की कोशिश कर रहा हूं. बाकी लोगों की तरह नॉर्मल जिंदगी गलत है क्या? उन सभी सोशल मीडिया वालों से मेरा अनुरोध है जो गलत जानकारी फैला रहे हैं कि पूरी जानकारी के बिना सीधे नतीजे पर पहुंचने से पहले असली दिव्यांगों और उनके परिवारों के प्रति संवेदनशील और सहानुभूति रखें. मैं अभी भी किसी भी मेडिकल बोर्ड की परीक्षा देने के लिए तैयार हूं."
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कहां से हैं IAS अधिकारी प्रफुल्ल देसाई?
करीमनगर के अतिरिक्त कलेक्टर के रूप में कार्यरत प्रफुल्ल देसाई ने 2019 की यूपीएससी परीक्षा में अखिल भारतीय स्तर पर 532 रैंक हासिल की थी. कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि बेलगावी जिला अस्पताल की देसाई की मेडिकल रिपोर्ट में पुष्टि होती है कि उन्हें पोलियो के कारण लोकोमोटर विकलांगता है और उनके बाएं पैर में 45 प्रतिशत की विकलांगता है. उन्होंने बताया कि वायरल हुई तस्वीरों में दिखाई गईं कई गतिविधियां उनके प्रशिक्षण कार्यक्रम का हिस्सा थीं.
किसान परिवार से आते हैं प्रफुल्ल देसाई
प्रफुल्ल देसाई कर्नाटक के बेलगावी जिले के एक किसान परिवार से आते हैं. उन्हें पांच साल की उम्र में पोलियो हो गया था, जिससे उनके बाएं पैर में दिक्कत रह गई. उन्होंने बताया कि वह चल तो सकते हैं और साइकिल चला भी सकते हैं, लेकिन दौड़ नहीं पाते. उनका कहना है कि उनकी ये विकलांगता उन्हें पूरी तरह से शारीरिक गतिविधियां करने से नहीं रोकती. सोशल मीडिया पर उनकी कुछ तस्वीरें वायरल हुई हैं जिनमें वह 30 किलोमीटर साइकिल चलाकर केंपटी फॉल से आ रहे हैं और ऋषिकेश में रिवर राफ्टिंग कर रहे हैं. इन तस्वीरों के कारण उन्हें काफी आलोचना का सामना करना पड़ा.
अपने पोस्ट में यूजर्स से कही ऐसी बात
आलोचकों ने प्रफुल्ल देसाई की विकलांगता के दावे और दिव्यांग कोटे के इस्तेमाल पर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि ऐसे लोगों को सजा मिलनी चाहिए जो फर्जी जानकारी देकर फायदे उठाते हैं, लेकिन साथ ही हमें उन लोगों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए जो सच में दिव्यांग हैं. मेरी कुछ तस्वीरें वायरल हुई हैं जिनमें मैं साइकिल चला रहा हूं, ट्रेकिंग कर रहा हूं और अन्य गतिविधियां कर रहा हूं. दरअसल, यह सब हमारे प्रशिक्षण कार्यक्रम का हिस्सा था और साथियों के साथ अच्छा रिश्ता बनाने के लिए भी था.