Trending News: बच्चे को जन्म देते वक्त औरतों को रोने की इजाजत नहीं, इस समुदाय में है अजीबोगरीब परंपरा
Viral News: सोचिए क्या हो जब किसी औरत को ये कहा जाए कि उसे प्रसव के समय रोने की इजाजत नहीं है. जी हां, आपने सही सुना! बता दें कि एक ऐसी भी जगह है, जहां औरतें जब बच्चों को जन्म देती हैं तो उनको रोने की इजाजत नहीं है.
Ajab Gajab News: किसी औरत का मां बनना उसके जीवन में बेहद खूबसूरत पल होता है. मां बनने की खबर से ही उसकी दुनिया बदल जाती है. बच्चे को जन्म देने के दौरान हर औरत को एक असहनीय दर्द सहना पड़ता है. प्रसव के दौरान अपने बच्चे को दुनिया में लाने के लिए वह इस दर्द को सहन भी करती है. इस दौरान वह रोती है, चिल्लाती है और चीखती हैं लेकिन ऐसा करने से उसे कोई नहीं रोकता है. दुनियाभर में कई अनोखी और अजीबोगरीब परंपरा है जिनमें से कुछ बेहद अच्छी हैं, तो कईयों को सुनकर लोग हैरान हो जाते हैं. मां बनने से जुड़ी जिस परंपरा के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं, उसे सुनकर आप भी हैरान हो जाएंगे. सोचिए क्या हो जब किसी औरत को ये कहा जाए कि उसे प्रसव के समय रोने की इजाजत नहीं है. जी हां, आपने सही सुना! आपको बता दें कि एक ऐसी भी जगह है, जहां औरतें जब बच्चों को जन्म देती है तो उनको रोने की इजाजत नहीं है.
कौन सी है वह जगह?
बच्चे को जन्म देने के प्रोसेस में कितना दर्द होता है, आदमी केवल महसूस कर सकते हैं. बता दें कि औरतों को उससे कई गुना ज्यादा पीड़ा होती है, जितना वो दिखाती हैं लेकिन नाइजीरिया के एक समुदाय में डिलीवरी के दौरान प्रेग्नेंट महिलाओं को रोने का अधिकार नहीं है. इस समुदाय को हौसा नाम से जाना जाता है. यहां महिलाओं को प्रसव पीड़ा को मजबूरी में सहना होता है. दक्षिण-पूर्वी नाइजीरिया में हुए एक रिसर्च की मानें तो यहां अधिकतर औरतों को दर्द कम करने वाली दवाइयों की कोई जानकारी नहीं है. इसके उलट ऐसा भी कहा जा सकता है कि यहां की औरतें इस दर्दनाक परंपरा को सिर्फ मजबूरी में ही निभा रही हैं. अभी भी वहां की महिलाएं इतनी सशक्त नहीं हुई हैं कि इस क्रूर परंपरा के खिलाफ आवाज उठा सकें.
क्या है बाकी समुदायों का हाल
नाइजीरिया में रहने वाले बाकी समुदाय के अपने अपने रीति-रिवाज हैं. यहां बोनी नाम से मशहूर समुदाय में लड़कियों को बचपन से प्रसव पीड़ा के बारे में सिखाया जाता है जबकि फुलानी समुदाय की बात करें तो यहां लड़कियों को बताया जाता है कि प्रसव के दौरान डरना और रोना कोई शर्म करने की बात नहीं है लेकिन इसके विपरीत हौसा की परंपरा को सुनकर रूह कांप जाती है.
पाठकों की पहली पसंद Zeenews.com/Hindi - अब किसी और की ज़रूरत नहीं