Linkedin Post: COVID-19 महामारी ने दुनिया भर के कई ऑर्गनाइजेशन को 2020 की शुरुआत से वर्क-फ्रॉम-होम (WFH) मोड अपनाने के लिए मजबूर किया. इसने इसके आसपास बहुत सी चीजों को बदल दिया. काम करने वाली जगह में बदलाव आने के बाद लोग समयावधि के बजाय निरंतर दिन-रात काम करने लगे हैं. ऐसे में कुछ को मानसिक बीमारी का खतरा होने लगा है तो कई ऐसे भी हैं जो रोजाना फिजिकल एक्टिविटी से दूर हो गए. इस बदलाव के बाद भले ही कंपनियों को फायदे की डील लग रही है, लेकिन लोग पर्सनल जिंदगी से दूर होने लगे हैं. हाल ही में, बॉम्बे शेविंग कंपनी के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी शांतनु देशपांडे ने फ्रेशर्स को सलाह देने के लिए लिंक्डइन का सहारा लिया. शांतनु चाहते हैं कि फ्रेशर्स दिन में 18 घंटे काम करें.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

सीईओ ने लिंक्डइन पर लिखी ऐसी बात


शांतनु देशपांडे ने फ्रेशर्स को सलाह दिया कि यह समर्पण रोजगार मिलने के बाद पहले चार या पांच साल तक जारी रहना चाहिए. जब आप 22 वर्ष के हों और अपनी नौकरी में नए हों, तो अपने आप को इसमें झोंक दें. अच्छा खाओ और फिट रहो, लेकिन कम से कम 4-5 साल के लिए 18 घंटे के दिनों में रखो. सीईओ ने कहा कि युवा ऑनलाइन सामग्री से प्रभावित होते हैं और वर्क लाइफ बैलेंस के लिए प्रयास करते हैं. मैंने बहुत से ऐसे युवाओं को देखा है जो हर जगह रैंडम कंटेंट देखते हैं और खुद को आश्वस्त करते हैं कि वर्क लाइफ बैलेंस, परिवार के साथ समय बिताना, कायाकल्प ब्ला ब्ला महत्वपूर्ण है. यह है, लेकिन इतनी जल्दी नहीं है.



इस पोस्ट पर लोगों ने दिए ऐसे रिएक्शन


बॉम्बे शेविंग कंपनी के सीईओ ने आगे कहा, 'अपने काम की पूजा करें. रोना-धोना न करें. काम को आगे बढ़कर लें पर लें और अथक रहें. आप इससे बेहतर होंगे.' देशपांडे का दृष्टिकोण उन लोगों को रास नहीं आया, जिन्होंने बोझिल वर्ग कल्चर को बढ़ावा देने के लिए उनकी आलोचना की. एक यूजर ने लिखा, 'क्या आप अतिरिक्त घंटों का भुगतान करते हैं? जाहिर है नहीं. इंसानों की गुलामी कई तरह से होती है और इसे शब्दों या संदर्भ में हेरफेर करके इसे उचित ठहराया जा सकता है.'


एक अन्य यूजर ने लिखा, 'मुझे लगता है कि यह सलाह बेहद गलत है. किसी को भी 18 घंटे काम नहीं करना चाहिए, खासकर 4-5 साल के लिए नहीं. 30 साल की उम्र से पहले आप तप जाएंगे, आपका स्वास्थ्य, शारीरिक और मानसिक दोनों बिगड़ जाएगा और यहां तक कि आपके रिश्तों पर भी दबाव पड़ेगा.' एक तीसरे ने लिखा, 'ऐसा करके युवाओं को काम के प्रति एग्रेशन खत्म करना होगा. दिमाग को आराम नहीं मिलेगा. इतना भी अत्याचार मत करो.'


ये ख़बर आपने पढ़ी देश की नंबर 1 हिंदी वेबसाइट Zeenews.com/Hindi पर