Mahakumbh Special Hair Style: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी तक महाकुंभ का आयोजन होना है. इस महाकुंभ को लेकर योगी सरकार ने भी कमर कस ली है. देशभर से लाखों-करोड़ों श्रद्धालुओं के महाकुंभ में आने का अनुमान है. हर कोई अपनी-अपनी तरह से इसकी तैयारी में जुटा हुआ है. इस बीच वाराणसी की सड़कों पर एक शख्स महाकुंभ में आने वाले लोगों को फ्री हेयर कट की सुविधा देने के लिए घूम रहा है. यह पहल न केवल श्रद्धालुओं को एक सेवा प्रदान कर रही है, बल्कि एक खास संदेश भी दे रहा है, जिससे महाकुंभ के आयोजन को और भी यादगार बनाया जा रहा है.


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सोशल मीडिया पर इस खास सैलून का वीडियो शेयर किया गया, जिसे देखने के बाद लोगों की हंसी छूट गई. महाकुंभ की तैयारियों में यूपी के लोग अपनी पूरी मेहनत और समर्पण से लगे हुए हैं, ताकि आने वाले श्रद्धालुओं को कोई भी परेशानी न हो. महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा का पूरा ध्यान रखा जा रहा है. इस बीच, एक शख्स ने एक खास सैलून खोला है, जहां आने वाले श्रद्धालुओं को फ्री हेयरकट दिया जाएगा. लेकिन इसके लिए उन्हें एक खास हेयरस्टाइल करवाना होगा, जो इस सैलून की पहचान बन गया है. यह अनोखी पहल महाकुंभ के दौरान श्रद्धालुओं के लिए एक यादगार अनुभव बनाने का प्रयास है.


मोदी हेयर कटिंग, सैलून का नाम 


इस खास सैलून का नाम भी बहुत ही स्पेशल है – मोदी हेयर कटिंग सैलून. इसमें लोगों को फ्री में हेयरकट दिया जाता है, और यह सैलून एक साइकिल पर चलाया जा रहा है. वीडियो में दिखाई दे रहे बैनर के मुताबिक, सैलून चलाने वाले का नाम छोटे लाल है. छोटे लाल खुद को "सेवक" बताने वाला एक जोगी है, जो सड़कों पर अपनी सैलून लेकर घूमता है और लोगों को हेयरकट देता है, वो भी पूरी तरह मुफ्त. मगर, इसके लिए लोगों को एक खास स्टाइल में बाल कटवाने होंगे, जो इस सैलून की पहचान बन चुका है. यह पहल महाकुंभ की तैयारियों का हिस्सा है, और श्रद्धालुओं के लिए एक अनोखा और यादगार अनुभव है. 


 



वीडियो देखकर लोग कर रहे हैं कमेंट 


साइकिल वाले इस सैलून में अगर आपको भी फ्री का हेयरकट चाहिए, तो आपको योगी स्टाइल में बाल कटवाने होंगे. जी हां, इस सैलून में योगी स्टाइल कट के लिए कोई पैसे नहीं लिए जाते. जैसे ही लोगों ने इस सैलून वाले को देखा, उनकी हंसी छूट गई. सैलून के अनोखे और मजेदार कंसेप्ट ने कई लोगों को हंसी में डाल दिया. सोशल मीडिया पर भी कई लोगों ने लिखा कि "ऐसा सिर्फ बनारस में ही हो सकता है", क्योंकि यहां की संस्कृति और अंदाज ही कुछ अलग है. यह पहल न केवल महाकुंभ के लिए एक मजेदार अनुभव बना रही है, बल्कि बनारस की रंगीन और अनोखी पहचान को भी उजागर कर रही है.