नई दिल्ली. दुनियाभर में भारतीय सेना (Indian Army) अपनी ताकत और अदम्य साहस के लिए जानी जाती है. भारत के वीर सपूतों के आगे ‘नापाक’ पाकिस्तान (Pakistan) और ‘चालाक’ चीन (China) कई बार घुटने टेक चुका है. भारतीय सेना के रणबांकुरों (Indian Army Soldiers) की वीरता और साहस की वजह से ही आज दुश्मन देश भारत (India) की तरफ आंख उठाने से भी डरता है.


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भारत की सरजमीं को सुरक्षित रखने में हमारे वीर जवानों की अहम भूमिका रही है. आज हम आपको भारते के एक ऐसे मुस्लिम गांव (Muslim) के बारे में बताएंगे, जहां हर घर का बेटा देश की सुरक्षा में सीमा (Border) पर तैनात है.


इस गांव के हर घर का बेटा सेना में तैनात


आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) में प्रकाशम जिला (District Prakasam) है. यहां पर एक गांव है मल्लारेड्डी पल्ली (Mallareddy Palli). यह मुस्लिम (Muslim) बहुल गांव है. कहा जाए तो यह देश की रक्षा के लिए बहादुर और साहसी बेटे पैदा करने वालों का गांव है. इस गांव के हर घर का बेटा बॉर्डर (Border) पर दुश्मनों से लोहा लेने के लिए तैनात है.


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हर नौजवान का सेना में भर्ती होने का सपना


इस गांव (Mallareddy Palli Village) के हर नौजवान (Youth) की आंखों में आपको सेना (Army) में जाने का जुनून नजर आ जाएगा. यहां का हर नौजवान सेना में जाने के सपने को पूरा करने के लिए सुबह से ही मेहनत करना शुरू कर देता है.


सेना के रिटायर फौजी करते हैं नौजवानों की मदद


मल्लारेड्डी पल्ली गांव (Mallareddy Palli Village) में कई ऐसे वीर जवान हैं, जिन्होंने भारत-पाक युद्धों (India-Pakistan War), कारगिल युद्ध (Kargil War) और भारत-चीन युद्ध (India-China War) में दुश्मनों के दांत खट्टे किए हैं. यहां के बुजुर्ग लोग बच्चों को सेना (Army) में शामिल होकर भारत माता (Bharat Mata) की सेवा करने के लिए प्रेरित करते हैं और इस परंपरा को आगे बढ़ाने की कोशिश में उनका साथ देते हैं.


इस गांव के नौजवान सेना से रिटायर हो चुके बड़े-बुजुर्गों से ट्रेनिंग लेते हैं.


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उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी सेना में जाते हैं नौजवान


मल्लारेड्डी पल्ली (Mallareddy Palli) गांव में 86 परिवार रहते हैं, जिनमें से 130 मां के लाल भारत माता (Bharat Mata) की रक्षा में बॉर्डर (Border) पर तैनात हैं. इस गांव की खासियत यह है कि यहां के नौजवान उच्च शिक्षा लेने के बावजूद भी सेना में ही भर्ती होते हैं.


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