Frog and Human: मेंढकों के कम होने से बीमार होते रहेंगे इंसान, स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा
Presence of Frogs: धरती पर मौजूद जीव जंतु किसी ना किसी तरह से पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बनाने में योगदान देते हैं और इसमें असंतुलन का प्रभाव इंसान की सेहत पर जरूर पड़ता है. मेंढक की प्रजाति इन्हीं में से एक है.
Study on Frogs and Human Health: इंसान अपनी सेहत का देखभाल करने के लिए अच्छा खाना और बीमार पड़ने पर दवाइयों का सेवन करता है. लेकिन कई बार यह बात सामने आ चुकी है कि इंसान का स्वस्थ रहना धरती पर मौजूद अन्य जीव जंतुओं की सेहत पर भी निर्भर करता है. मेंढकों का स्वास्थ्य और उनका अस्तित्व भी इसी से जुड़ा हुआ है. एक स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है और बताया गया है कि कैसे मेंढकों का रहना इंसान के लिए लाभदायक है.
मेंढकों की संख्या में हो रही लगातार कमी
दरअसल, मेंढक एक उभयचर जीव है. यह इंसानों की सेहत में बड़ा महत्वपूर्ण योगदान देता है. साइंस अलर्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक वैज्ञानिकों ने उभयचर जीवों पर की गई कई स्टडीज को केंद्र बनाकर यह निष्कर्ष निकाला है कि मेंढक अगर धरती पर कम होंगे तो इससे इंसानों के स्वास्थ्य पर गलत प्रभाव पड़ेगा. रिपोर्ट में बताया गया है कि अस्सी के दशक में कोस्टा रिका और पनामा में वैज्ञानिकों ने देखा कि मेंढकों समेत कई अन्य उभयचरी जीवों की संख्या, खासतौर मेंढक और सैलामैंडर में कमी आ रही है.
मच्छरों से फैलने वाली बीमारियां फैल रही हैं
इतना ही नहीं एशिया और दक्षिणी अमेरिका में उभयचरी जीवों की 501 प्रजातियां खत्म हो गईं. इनकी मौत की वजह से ही दुनिया भर में फंगस तेजी से फैल रहा है. साथ ही मच्छर और मच्छरों से फैलने वाली बीमारियां भी फैल रही हैं. और ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि मेंढक और सैलामैंडर्स मच्छरों की आबादी को खत्म करने में मदद करते हैं. ये उनके लार्वा को खाते हैं. मच्छर मेंढकों और सैलामैंडर्स का मुख्य भोजन होते हैं.
एनवायरमेंटल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित स्टडी
यही कारण है कि दुनिया में जब भी किसी इलाके में मेंढक जैसे उभयचरों की संख्या में कमी आती है तो इसका एक असर यह होता है कि उस इलाके में मलेरिया जैसी बीमारियों की मामले बढ़ने लगते हैं. यह स्टडी एनवायरमेंटल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित हुई है. वायरल फंगल पैथोजेन से मलेरिया को रोकने वाले मेंढकों और सैलामैंडर्स जैसे एंफिबियंस जीवों की मौत हो रही थी. इस स्टडी मन बकायदा तथ्यों के साथ प्रेजेंटेशन दिया गया है.
कुल मिलाकर इस स्टडी का सार यही है कि धरती पर मौजूद जीव जंतु किसी ना किसी तरह से पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बनाने में योगदान देते हैं और इसमें असंतुलन का प्रभाव इंसान की सेहत पर जरूर पड़ता है. धरती की लगभग सभी प्रजातियों से इंसान के संवेदनशील संबंध पर वैज्ञानिक बारीकी से नजर रखते हैं. इन्हीं में से उभयचर जीव भी हैं.
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