बिहार न होता तो रूसी आर्मी के जवानों की जान होती हलक में! बूझे कि नहीं? जानें पीछे की सच्चाई
Bihar-based Shoes Company: रूसी सेना के जवानों के जूतों की जरूरतें ये हैं - जूते हल्के हों, फिसलन ना होने वाले हों, तलवों में खास बनावट हो, और -40 डिग्री सेल्सियस जैसे कड़ाके की ठंड में भी टिक पाएं. हम इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए ये सेफ्टी जूते बनाते हैं.
Bihar Helps Russian Army: दुनिया भर में लोग यूक्रेन और रूस की लड़ाई देख रहे हैं. इस बीच बिहार रूस की मदद करने में एक अनोखी भूमिका निभा रहा है. हाजीपुर की एक कंपनी इन दिनों सुर्खियों में है. दरअसल, कॉम्पिटेंस एक्सपोर्ट्स नाम की ये कंपनी रूस की सेना के जवानों के लिए सुरक्षा जूते बना रही है. ANI के मुताबिक, ये कंपनी 2018 से ही 'मेड इन बिहार' जूते बना रही है और अब तक 15 लाख जोड़े जूते रूस भेज चुकी है. कंपनी अगले साल इस संख्या में 50 फीसदी का इजाफा करने की भी योजना बना रही है. सेफ्टी जूतों की सफलता के बाद अब ये कंपनी यूरोपीय बाजार के लिए डिजाइनर जूते भी बनाने जा रही है.
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कंपनी के महाप्रबंधक शिव कुमार रॉय ने एक वेबसाइट से बात करते हुए बताया, "रूसी सेना के जवानों के जूतों की जरूरतें ये हैं - जूते हल्के हों, फिसलन ना होने वाले हों, तलवों में खास बनावट हो, और -40 डिग्री सेल्सियस जैसे कड़ाके की ठंड में भी टिक पाएं. हम इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए ये सेफ्टी जूते बनाते हैं. हमारा लक्ष्य है कि बिहार में एक विश्व स्तरीय कारखाना खड़ा किया जाए और राज्य में रोजगार के अवसर बढ़ाए जाएं. हमारी कोशिश है कि 300 कर्मचारियों में से ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार दिया जाए, जिनमें से 70 प्रतिशत महिलाएं हैं."
शिव कुमार रॉय ने ये भी बताया कि बिहार सरकार ने तो स्थानीय उद्योगों को सहारा दिया है, लेकिन उन्हें अभी भी रूस के खरीदारों से संपर्क आसान बनाने के लिए बेहतर बुनियादी ढांचे की जरूरत है, मसलन बेहतर सड़कें और संचार प्रणाली. कंपनी के महाप्रबंधक का ये भी कहना है कि उन्हें कुशल कर्मचारियों की जरूरत है और उनका सुझाव है कि काम शुरू करने से पहले कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने के लिए एक संस्थान बनाया जाए.
दिलचस्प बात ये है कि कॉम्पिटेंस एक्सपोर्ट्स इटली, फ्रांस, स्पेन और ब्रिटेन जैसे देशों को भी लक्जरी या फैशन के जूते भेजती है. फैशन डेवलपमेंट और मार्केटिंग टीम का नेतृत्व करने वाले मजहर पल्लूमिया ने बताया कि शुरूआत में कुछ विदेशी कंपनियां उनके उत्पाद बेचने में हिचकिचा रही थीं, लेकिन सैंपल देखने के बाद उनकी झिझक दूर हो गई. नतीजा ये हुआ कि अगले महीने कंपनी इन कंपनियों की टीम के कुछ सदस्यों से मिलने का इंतजार कर रही है. मजे की बात ये है कि वे एक बेल्जियम की कंपनी के साथ भी बातचीत कर रहे हैं.
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भारत और रूस के व्यापारिक संबंध बहुत पुराने हैं. हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस यात्रा और व्लादिमीर पुतिन के साथ मुलाकात के बाद दोनों देशों ने अपने द्विपक्षीय व्यापार को 2030 तक $100 बिलियन तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है, जो अभी $67 बिलियन का है. इस लक्ष्य के साथ भारत विभिन्न क्षेत्रों में रूस को अपना निर्यात बढ़ाने का लक्ष्य रखता है.