Goolar ka phool ho gye: हिन्दी भाषा की बुनिया इतनी गहरी है कि इसका थाह लगा पाना बेहद मुश्किल है. लंबे समय तक पढ़ाई करने के बाद इस भाषा के ज्ञानी, हिन्दी पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए पढ़ाई करते ही रहते हैं. इस भाषा का जिक्र हो और मुहावरों की बात न की जाए.. ऐसा करना गुनाह होगा. मुहावरों को समझना और इसका सटीक इस्तेमाल करना संवाद को मजेदार बना देता है. लंबे समय बाद मुलाकात होने पर जब संवाद होता है तो इसकी शुरुआत कभी-कभी ये कहकर होती है कि 'तुम तो गूलर के फूल हो गए'. आइये आपको इस मुहावरे का अर्थ बताते हैं.


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लंबे समय बाद मिलने वालों के साथ संवाद में गूलर का फूल होना ही क्यों इस्तेमाल होता है? फूल तो और भी कई हैं, जैसे चंपा, चमेली गेंदा. इन फूलों का इस्तेमाल क्यों नहीं किया जाता? ये सवाल कई लोगों को परेशान करता रहता है जिन्हें मुहावरों में दिलचस्पी नहीं होती या उनकी हिन्दी कमजोर होती है.



'गूलर का फूल होना' मुहावरा तब इस्तेमाल किया जाता है जब कोई इंसान लंबे वक्त बाद दिखाई देता है या उससे कई दिनों बाद मुलाकात होती है. ऐसा इसलिए किया जाता है, क्योंकि गूलर का फूल बेहद दुर्लभ होता है.


ऐसे गिनेचुने लोग ही होंगे जिन्होंने गूलर का फूल देखा होगा. तो अब आप समझ गए होंगे कि इस मुहावरे का अर्थ क्या है और इसे क्यों और कहां इस्तेमाल किया जाता है. अब आपको गूलर के फल और इसके फूल के बारे में बताते हैं. कई लोगों का यहां तक कहना है कि गूलर का फूल होता ही नहीं. 80-90 के दशक में जब दादी-नानी की कहानियों में कहा जाता था कि गूलर का फूल दिखना बेहद अशुभ होता है.


गूलर के बारे में बात करें तो यह एक विशाल वृक्ष होता है जो भारत और दक्षिण एशिया के कुछ हिस्सों में पाया जाता है. इसका वैज्ञानिक नाम "Ficus racemosa" है. इसके फल गुलाबी और हरे रंग के होते हैं. आयुर्वेद में गूलर के फल का इस्तेमाल बेहद फायदेमंद भी माना जाता है.


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