आंख से नहीं देख पाती लड़की, फिर भी 12वीं की CBSE परीक्षा में लाए 496/500 मार्क्स; जानें Success Mantra
Visually Challenged Girl Hannah Alice Simon: कोच्चि की एक छात्रा हना एलिस साइमन (Hannah Alice Simon) ने कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षा में विकलांग वर्ग में शीर्ष स्थान प्राप्त करके एक और उपलब्धि हासिल की है. हना एक मोटिवेशनल स्पीकर, सिंगर और Youtuber हैं.
Visually Challenged Girl From Kerala: सभी बाधाओं को पार करते हुए 19 साल की एक लड़की ने साबित कर दिया कि कोई भी सपना असंभव नहीं है. कोच्चि की एक छात्रा हना एलिस साइमन (Hannah Alice Simon) ने कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षा में विकलांग वर्ग में शीर्ष स्थान प्राप्त करके एक और उपलब्धि हासिल की है. हना एक मोटिवेशनल स्पीकर, सिंगर और Youtuber हैं. अंडरलाइंग कंडीशन 'माइक्रोफथाल्मिया' (Microphthalmia) होने की वजह से हना अपनी आंखें गंवा बैठी. उसने CBSE क्लास XII में 500 में से 496 अंक प्राप्त किए.
लड़की ने टॉप करने का श्रेय माता-पिता को दिया
19 वर्षीय मानविकी छात्र देश में विकलांग छात्रों की सूची में शीर्ष पर पहुंच गई. कोच्चि में जन्मी और पली-बढ़ी हना ने कक्कनड के राजगिरी क्रिस्टू जयंती पब्लिक स्कूल में पढ़ाई की. हना कई प्रतिभाओं वाली लड़की है. वह न केवल स्कूल में अच्छा कर रही है, बल्कि उसने 15 जुलाई को 'वेलकम होम' नामक एक पुस्तक भी प्रकाशित की, जिसमें युवा लड़कियों की छह लघु कथाएं थीं. हना ने अपने माता-पिता के फैसले पर जोर देते हुए कहा कि उसे एक नियमित स्कूल में जाने की अनुमति है.
स्कूल में होती थी बुली, फिर भी पढ़ाई पर किया फोकस
उसने कहा, 'विकलांग छात्रों के स्कूल में मुझे एक शिक्षा देने के बजाय, मेरे माता-पिता ने मुझे एक सामान्य स्कूल में प्रवेश देने के बारे में सोचा ताकि मुझे कॉलेज में आगे की पढ़ाई के लिए किसी भी कठिनाई का सामना न करना पड़े.' उसने इस बात पर भी जोर दिया कि भले उसे स्कूल में बुली किया गया, लेकिन वह इन बातों को छोड़कर आगे बढ़ गई. क्योंकि उसके पास और भी बहुत सी आकांक्षाएं थीं जिन्हें पूरा करना था.
उसने कहा, 'मुझे धमकाया गया और जैसे-जैसे मैं बड़ी हुई, मुझे कई चीजों से दूर रखा जाने लगा. लेकिन मैं जानती हूं कि जैसे-जैसे मैं अपने जीवन में आगे बढ़ूंगी, मुझे इस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. इसलिए बचपन से ही उनका सामना करना मुझे मजबूत बना दिया है. जीवन में बड़ी चुनौतियों का सामना करें.'
'हाथ पकड़कर मेरे साथ दौड़ते थे मेरे पैरेंट्स'
उसने यह भी नोट किया कि उसके माता-पिता ने पढ़ाई या अपॉर्चुनिटी को लेकर उसके साथ अलग व्यवहार नहीं किया. हना ने आगे कहा, 'मेरे माता-पिता के लिए मैं स्पेशल नहीं हूं. हम तीनों समान रूप से स्पेशल हैं. मैं तीन बच्चों में से सिर्फ एक हूं. उन्होंने मुझे कभी नहीं बताया कि मैं अलग हूं. उन्होंने हमेशा कहा कि आप अन्य बच्चों की तरह हैं, और मैं वह कर सकती हूं जो दूसरे बच्चे करते हैं. जब मेरे दोस्त दौड़ रहे थे, तो मैं भी दौड़ना चाहती थी. मेरे माता-पिता मुझे स्कूल के मैदान में ले जाते थे और मेरे हाथ पकड़कर मेरे साथ दौड़ते थे.'
पैरेंट्स की वजह से बढ़ा आत्मविश्वास
हना के पिता साइमन मैथ्यूज ने उनके आत्मविश्वास और दृष्टिकोण का श्रेय उनकी मां लीजा साइमन को दिया. साइमन मैथ्यूज ने कहा, 'जब हना एक बच्ची थी, तो उसे स्कूल में बदमाशी का सामना करना पड़ा. दोस्तों ने उसे दोस्ती से दूर रखा. हना की मां उसके पीछे खड़ी हुई हैं, जिसने उसे हर तरह से समर्थन दिया. उसने उसे इस तरह से समर्थन दिया जिससे उसका आत्मविश्वास बढ़ा. उन सभी कठिनाइयों ने हना को मजबूत बनाया. हना भी सब कुछ अच्छी तरह से समझती थी. उसने चुनौतियों को स्वीकार किया.'
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