नई दिल्ली: पाकिस्तान (Pakistan) में पिछले कई दिनों से सियासी घमासान चल रहा है. पाकिस्तान नेशनल असेंबली में कल (शनिवार को) देर रात इमरान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग हुई, जिसके समर्थन में 174 वोट पड़े. इसके बाद पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार किसी प्रधानमंत्री को अविश्वास प्रस्ताव के जरिए कुर्सी से हटा दिया गया है. इमरान सरकार के गिरते ही प्रधानमंत्री पद की रेस शुरू हो गई है. इस रेस में सबसे आगे है शहबाज शरीफ (Shehbaz Sharif) का नाम चल रहा है. लेकिन उनके लिए पीएम की कुर्सी इतनी आसान नहीं होगी.


शहबाज शरीफ के लिए आसान नहीं होगी कुर्सी


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पाक के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पार्टी PML-N का दिमाग माने जाने वाले शहबाज शरीफ के लिए पाकिस्तान की ये कुर्सी आसान नहीं होगी. क्योंकि जिस पाकिस्तान का जिम्मा वो संभालने वाले हैं, वो पाकिस्तान कई मुसीबतों से पहले ही जूझ रहा है. 23 सितंबर 1951 को पैदा हुए शाहबाज शरीफ को पाकिस्तान की बीमारी तो पता है, लेकिन उसका इलाज कर पाना उनके लिए भी आसान नहीं होगा. हालांकि वो दावा कर रहे हैं. कि पाकिस्तान में नए दिन की शुरुआत हुई है. 


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शाहबाज के लिए विदेश नीति होगी चुनौती


अर्थव्यवस्था के साथ ही इमरान ने जाते-जाते शाहबाज के सिर पर विदेश नीति की चुनौती भी लाद दी है. इमरान जिस वक्त आजाद विदेश नीति का राग अलाप रहे थे और अपनी नाकामी का ठीकरा अमेरिका के सिर फोड़ रहे थे, उसी दौरान पाकिस्तानी आर्मी के चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा ने अमेरिका की तारीफ करके बता दिया कि पाकिस्तान की विदेश नीति का बॉस कौन है.


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पाकिस्तानी सेना से नहीं हैं अच्छे संबंध


इसके अलावा शाहबाज शरीफ के सामने सेना की चुनौती और भी बड़ी है, क्योंकि पाकिस्तान की सेना के साथ उनकी पार्टी और बड़े भाई नवाज शरीफ के रिश्ते बेहद कड़वाहट से भरे रहे हैं. सदन में भाषण देते हुए शहबाज शरीफ ने ये कहा कि ये पाकिस्तान के लिए नया दिन है. हम बदला लेने नहीं आए.


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