नई दिल्ली: अपनी विस्तारवादी आदतों के लिए कुख्यात चीन (China) भूटान (Bhutan) के कुछ हिस्सों को कब्जाना चाहता है. पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) भूटानी क्षेत्रों पर कब्जा जमाने की तैयारी कर रही है. भारत ने इस ताजा घटनाक्रम से भूटान की सरकार को अवगत करा दिया है.चीन भूटान के साथ सीमा विवाद का फैसला अपना हक में लाने के लिए उस पर दबाव बना रहा है और मौजूदा तैयारी उसी का हिस्सा है. 2017 में डोकलाम विवाद के बाद से चीन भूटान सीमा के पास सड़क, हेलीपैड तैयार करने में लगा है, साथ ही वहां सैनिकों का जमावड़ा भी बढ़ गया है. 


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पिछले कुछ महीनों में चीन ने पश्चिमी भूटानी क्षेत्रों के पांच इलाकों में घुसपैठ की और भूटान के अंदर लगभग 40 किलोमीटर एक नई सीमा का दावा किया है. पिछले महीने अगस्त में PLA ने दक्षिण डोकलाम क्षेत्र में भी घुसपैठ की थी. चीन भूटान पर दबाव बना रहा है कि वो गयमोचेन क्षेत्र तक सीमा विस्तार को स्वीकार कर ले.  


स्थिति पर भारत की नजर
केंद्रीय सुरक्षा एजेंसी से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि हम भारत-चीन और चीन-भूटान सीमा पर ताजा घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए हैं. डोकलाम गतिरोध के बाद से PLA आक्रामक रूप से भूटान-चीन सीमा पर गश्त कर रही है और भूटान सीमा के करीब सड़कों, सैन्य बुनियादी ढांचे और हेलीपैड का निर्माण किया जा रहा है. चीन भूटान के पश्चिमी सेक्टर में 318 वर्ग किलोमीटर और सेंट्रल सेक्टर में 495 वर्ग किलोमीटर पर दावा जताता है.  


यहां भी ठोंक चुका है दावा
जून में चीन ने भूटान के साकटेंग वन्यजीव अभयारण्य (Sakteng Wildlife Sanctuary) प्रोजेक्ट पर आपत्ति जताई थी. ड्रैगन ने इसे विवादित इलाका करार देते हुए ग्लोबल एनवायरनमेंट फैसिलिटी काउंसिल (Global Environment Facility-GEF Council) से उसे फंड मुहैया न कराने को कहा था. यह अभयारण्य भारत और चीन की सीमा के पास 750 वर्ग किलोमीटर में फैला है और अरुणाचल प्रदेश के निकट है.


2017 में बढ़ा था तनाव
डोकलाम पठार जिसे चीनी में डोंगलांग के रूप में भी जाना जाता है चीन और भूटान के बीच 2017 में हुए सैन्य गतिरोध का मुख्य कारण है. डोकलाम पठार सिलीगुड़ी कॉरिडोर के करीब है, जिसे चिकन नेक भी कहा जाता है. सिलीगुड़ी कॉरिडोर भारत के लिए रणनीतिक रूप से बेहद अहम् है. चीन ग्रेट ब्रिटेन और Qing  राजवंश के बीच हुए 1890 कन्वेंशन के आधार पर डोकलाम पठार अपना दावा जताता है.