China UNSC: चीन ने एक बार फिर आतंकवाद फैलाने वालों का साथ दिया है. चीन ने संयुक्त राष्ट्र में जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर के भाई अब्दुल रऊफ अजहर को काली सूची में डालने के अमेरिका और भारत के प्रस्ताव को बाधित कर दिया. अब्दुल रऊफ 1999 में इंडियन एयरलाइन्स के विमान आईसी814 के अपहरण, 2001 में संसद पर हमले और 2016 में पठानकोट में वायु सेना के अड्डे को निशाना बनाने समेत कई साजिशों में शामिल रहा है.


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चीन ने बुधवार को रऊफ का नाम काली सूची में डालने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत और अमेरिका के समर्थन वाले संयुक्त प्रस्ताव पर तकनीकी रोक लगा दी थी. सुरक्षा परिषद के अन्य सभी 14 सदस्य देशों ने इस कदम का समर्थन किया था.


बैन लगता तो क्या होता


पाकिस्तान में 1974 में जन्मे रऊफ को प्रतिबंधित करने का परिणाम यह होता कि उस पर यात्रा प्रतिबंध लग जाता और पाकिस्तान को उसकी संपत्तियों पर रोक लगाने के साथ हथियारों व संबंधित सामग्री तक उसकी पहुंच को खत्म करना पड़ता.


भारत में सरकार से जुड़े सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तान के किसी भी आतंकवादी को काली सूची में डालने की कोशिश को रोकने के चीन के 'राजनीति से प्रेरित' ये कदम, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की प्रतिबंध समिति की कार्यपद्धति की पवित्रता को कमजोर करते हैं.


यह दो महीने से भी कम समय में दूसरा मौका है, जब चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समिति के तहत पाकिस्तान स्थित एक आतंकवादी को काली सूची में डालने के अमेरिका और भारत के प्रस्ताव को बाधित किया है.


पहले भी अपना रंग दिखा चुका है चीन


चीन ने इससे पहले इस साल जून में पाकिस्तानी आतंकवादी अब्दुल रहमान मक्की को यूएनएससी की प्रतिबंधित सूची में शामिल करने के भारत और अमेरिका के संयुक्त प्रस्ताव पर आखिरी पलों में अडंगा लगा दिया था. मक्की लश्कर-ए-तैयबा के सरगना और 26/11 मुंबई हमलों के मुख्य साजिशकर्ता हाफिज सईद का रिश्तेदार है.


भारत और अमेरिका ने UNSC की 1267 अल कायदा प्रतिबंध समिति के तहत मक्की को वैश्विक आतंकवादी घोषित किए जाने के लिए एक संयुक्त प्रस्ताव पेश किया था, लेकिन चीन ने इस प्रस्ताव को अंतिम क्षण में बाधित कर दिया.


सूत्रों ने कहा, 'यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राजनीतिक कारणों के चलते प्रतिबंध समिति को उसका काम करने से रोका गया. आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समुदाय की साझा लड़ाई की बात करें तो चीन की कार्रवाई उसके दोहरे मानदंड और कथनी करनी में अंतर को उजागर करती है.'


अमेरिका ने 2010 में लगाया था बैन


अमेरिका के वित्त विभाग ने दिसंबर 2010 में जैश-ए-मोहम्मद के आला ओहदेदार अब्दुल रऊफ अजहर को जैश के लिए काम करने की वजह से प्रतिबंधित किया था. चीन ने अपने इस कदम का बचाव करने का प्रयास करते हुए कहा कि उसे आवेदन का आकलन करने के लिए और वक्त चाहिए.


चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा, 'चीन ने समिति के नियमों और प्रक्रियाओं का हमेशा कड़ाई से पालन किया है और उसके काम में सकारात्मक और जिम्मेदाराना तरीके से भाग लिया है. हमें उम्मीद है कि अन्य सदस्य भी ऐसा करेंगे.'


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