China Taiwan Tension: चीन किसी भी कीमत पर जल्द से जल्द ताइवान (Taiwan) पर अपना नियंत्रण हासिल करना चाहता है. अपनी विस्तारवादी नीति को आगे बढ़ाने के लिए बौखलाए 'ड्रैगन' की बेसब्री इस बात से भी समझी जा सकती है कि उसके नेता बिना कुछ भी सोंचे विचारे जो उनके मन में आ रहा है वो कह रहे हैं. बीजिंग (Beijing) की सरकार को तो छोड़िए कम्युनिस्ट पार्टी के नेता भी अपने रोजमर्रा के कामों में दिन-रात ताइवान की रट लगाए हुए हैं.


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जबरन कब्जा करने जा रहा चीन?


ताइवान को लेकर चीन ने एक बार फिर धमकी दी है. चीन ने हाल ही में कहा है कि वो ताइवान को अपने मेनलैंड के साथ जोड़ेगा. अगर ऐसा शांति से नहीं होगा तो वह अपने जबरदस्ती बल प्रयोग करके वहां पर कब्जा करेगा. ये अहम खुलासा चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) द्वारा जारी एक अहम दस्तावेज से हुआ है. हाल ही में जारी इस श्वेतपत्र में ये भी लिखा है कि हम शांतिपूर्ण मिलन का प्रयास करते हैं, अगर ताइवान विरोध करेगा तो इस बार बड़े विकल्प को चुना जाएगा.


क्यों इस बार है ज्यादा खतरा?


ग्लोबल टाइम्स में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक ताइवान के मुद्दे पर चीन का ये तीसरा श्वेतपत्र है. पहला श्वेतपत्र 1993 में आया था. जिसमें ताइवान को स्वायत्तता देने के साथ कुछ वायदे किए गए थे. सात साल बाद 2000 में दूसरा श्वेत पत्र जारी हुआ जिसमें चीन ने वादा किया था कि चीनी सैनिक ताइवान की मीडियन लाइन को नहीं पार करेंगे. लेकिन इस बार श्वेतपत्र में चीन ने ताइवान को मेनलैंड के साथ जबरदस्ती जोड़ने की बात कही है.


क्षेत्र में चरम पर है तनाव


ताइवान की मदद करने को लेकर 'ड्रैगन' पहले से आगबबूला है. अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे से पहले ही क्षेत्र में तनाव चरम पर है. पेलोसी की यात्रा के बाद चीन ने सबसे बड़ा मिलिट्री अभ्यास करके लगातार कई दिन तक ताइवान को धमकाता रहा लेकिन उसने इस उकसावे भरी कार्रवाई का कोई जवाब नहीं दिया. वहीं चीन ने अमेरिका से कहा, वो आग से न खेले, वरना उसे गंभीर नतीजे भुगतने होंगे.


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