बेल्ट एंड रोड फोरम के दौरान 64 अरब डॉलर से अधिक के करार हुए: शी जिनपिंग
शी जिनपिंग ने कहा कि हजारों अरब डॉलर की बीआरआई परियोजनाओं का जोर इसमें शामिल सभी देशों और उसके लोगों का साझा विकास करने पर होगा.
बीजिंग: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि वैश्विक स्तर पर बुनियादी ढांचा विकास की उसकी बेल्ट एंड रोड फोरम (एक क्षेत्र-एकमार्ग) पहल के यहां दूसरे सम्मेलन में मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) के एक सत्र में 64 अरब डॉलर के अधिक से सहयोग के करार पर हस्ताक्षर किये गये. दूसरा यह तीन दिवसीय सम्मेलन शनिवार को समाप्त हुआ. जिनपिंग ने सम्मेलन में आए 37 देशों के प्रमुखों के साथ गोलमेज बैठक करने के बाद पत्रकारों से कहा कि इस सम्मेलन की तैयारी और सम्मेलन की अवधि के दौरान व्यावहारिक परिणाम देने वाले 283 प्रस्ताव सामने आए.
इससे पहले उन्होंने गोल मेज सम्मेलन को संबोधित करते हुए नेताओं से बेल्ट एंड रोड मुहिम की परियोजनाओं के उच्च गुणवत्तायुक्त विकास के लिये सभी पक्षों की ओर से संयुक्त प्रयास किए जाने की अपील की. उन्होंने गोलमेज बैठक के दौरान कहा कि बेल्ट एंड रोड मुहिम (बीआरआई) से दुनियाभर में सभी को फायदा होगा तथा इससे स्थापित अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन करते हुए साझा विकास का रास्ता प्रशस्त होगा.
जिनपिंग ने कहा कि हजारों अरब डॉलर की बीआरआई परियोजनाओं का जोर इसमें शामिल सभी देशों और उसके लोगों का साझा विकास करने पर होगा. उन्होंने कहा, ‘‘हम निश्चित तौर पर गंभीर परामर्श, संयुक्त योगदान और साझा लाभ के सिद्धांतों को क्रियान्वयित करेंगे ताकि हर किसी का पक्ष सुना जा सके, हर कोई पूरी क्षमता प्राप्त कर सके और हर किसी को फायदा हो.’’ जिनपिंग ने कहा कि बीआरआई निश्चित तौर पर खुला, स्वच्छ और पर्यावरण के अनुकूल होना चाहिये तथा इसे उच्च मानक एवं लोगों पर केंद्रित टिकाऊ रुख अपनाना चाहिये. उन्होंने कहा कि इसे संयुक्त राष्ट्र के टिकाऊ विकास एजेंडा का पालन करना चाहिये.
इस बार फोरम में शामिल होने वालों में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रमुख क्रिस्टिन लगार्ड, विश्वबैंक की प्रमुख तथा कई अन्य अफ्रीकी एवं एशियाई देशों के प्रमुख शामिल हुए. भारत और अमेरिका ने फोरम का बहिष्कार किया. भारत ने खास कर चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा परियोजना को लेकर 2017 में हुए इस तरह के पहले सम्मेलन का भी बहिष्कार किया था. यह गलियारा पाक अधिकृत कश्मीर से जाता है. भारत इसे देशों की संप्रभुता के सम्मान के सिद्धांत के विरुद्ध मानता है.