Chinese Drill In South China Sea: दक्षिण चीन सागर (South China Sea) में एक बार फिर टेंशन बढ़ गई है. ताइवान (Taiwan) ने दावा किया है कि चीन के लड़ाकू विमान (Fighter Jet) उसकी सीमा में घुस गए हैं. 42 लड़ाकू विमानों के घुसने का दावा ताइवान ने किया है. ताइवान ने चीनी विमानों की घुसपैठ की जानकारी दी है. इस चीनी ड्रिल से ताइवान की मुश्किल बढ़ गई है. ताइवान के खिलाफ चीन ने प्लान बी पर काम शुरू कर दिया है. चीन के 42 लड़ाकू विमानों ने ताइवान के एयर स्पेस में घुसपैठ की है. ये दावा ताइवान ने किया है. हवाई घेराबंदी से ताइवान में टेंशन हाई है. माना जा रहा है कि इस बार चीन फुल प्रूफ तैयारी के साथ मैदान में उतरा है.


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ताइवान में घुसे चीनी लड़ाकू विमान


बता दें कि दक्षिण चीन सागर में चीन और ताइवान में हालात गंभीर हैं. चीन ताइवान पर हमले की लगातार धमकी दे रहा है तो कभी ताइवान को उकसाने के लिए तरह-तरह की सैन्य कार्रवाई भी कर रहा है. इस बीच ताइवान ने एक बड़ा दावा किया है. ताइवान के मुताबिक, चीन के 42 लड़ाकू विमानों ने उसकी सीमा में घुसपैठ की है. अब जानिए कि आखिर ऐसा क्या हुआ जिसकी वजह से चीन ताइवान पर इतना भड़क गया.


क्यों आगबबूला हुआ चीन?


दरअसल चीन के गुस्से की वजह है ताइवान के उपराष्ट्रपति विलियम लाई का अमेरिका दौरा. विलियम लाई अगले साल जनवरी में होने वाले चुनाव में ताइवान के अगले राष्ट्रपति बनने के प्रबल दावेदार हैं और अपने अमेरिका दौरे पर उन्होंने चीन को जमकर खरी-खोटी सुनाई थी. विलियम लाई के अमेरिका दौरे और उनके भाषण को लेकर चीन इतना आग बबूला हो गया है कि ताइवान को उसने अंजाम भुगतने की धमकी तक दे दी और ताइवान सीमा पर जमीन आसमान और समंदर में युद्ध अभ्यास शुरू कर दिया.


ताइवान कर रहा जवाब देने की तैयारी


गौरतलब है कि ताइवान, चीन के उकसावे में ना आकर अपने मिशन में लगा है. वो मिशन जो चीन के लिए एक बड़ा खतरा है. दरअसल ताइवान एक ऐसा हथियार तैयार कर रहा है जो चीन का हर चाल पर नजर रखने के साथ जरूरत पड़ने पर घातक हमले भी कर सकता है और चीन को जमीन से लेकर आसमान तक सबक सिखा सकता है.


ताइवान के पास है ये घातक हथियार


ये घातक हथियार ताइवान पोर्टेबल ड्रोन अल्बाट्रॉस II है जिसे चीन के साथ बढ़ते तनाव के बीच ताइवान ने हाल ही में दुनिया के दुनिया के सामने पेश किया था. ये वही हथियार है जिसे ताइवान पिछले कुछ सालों से तैयार करने में जुटा है. ये मानव रहित पोर्टेबल ड्रोन यूक्रेन द्वारा रूस के खिलाफ इस्तेमाल किए जाने वाले अमेरिकी ड्रोन जैसा है.


जानिए कि कैसे ताइवान इस ड्रोन की मदद से चीन पर अटैक कर सकता है. दरअसल ताइवान की खाड़ी बेहद संकरी है और ताइवान तक आने के लिए चीन को इस संकरी खाड़ी को पार करना पड़ेगा. तटों पर और खाड़ी के बीच में भारी मात्रा में पोत जमा हो जाएंगे. इतनी बड़ी मात्रा में जंगी जहाज जब चलेंगे तो उनकी गति धीमी हो जाएगी और ताइवान का ये ड्रोन आसानी से चीन के जंगी जहाजों और हथियारों को निशाना बना सकता है.


चीन की पूरी नौसेना और वायु सेना भी अपनी फ्लीट को बचा नहीं पाएगी क्योंकि ये घंटों तक खुले पानी में रहेंगे. और ताइवान का पोर्टेबल ड्रोन अल्बाट्रॉस II आसानी से उन्हे टार्गेट कर सकता है. ताइवान का ये ड्रोन अपनी भौगोलिक स्थिति का भी फायदा उठा सकता है क्योंकि ताइवान एक अंडाकार द्वीप है और 300 किलोमीटर की लंबाई में घने जंगलों वाले पहाड़ हैं. घाटियां हैं. खतरनाक इलाके हैं. जिसकी चीन को ज्यादा जानकारी नहीं है और ताइवान इन्हीं इलाकों से अल्बाट्रॉस II ड्रोन की मदद से हमला कर सकता है. ताइवान इस ड्रोन की मदद से चीन की हर चाल पर नजर रख सकता है और उसकी हर चाल की जवाब भी दे सकता है.