Israel-Palestine Conflict: 


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सऊदी अरब और ईरान के बीच वर्षों पुरानी दुश्मनी खत्म करवाने के बाद अब चीन के हौंसले काफी बढ़ गए हैं. बीजिंग और इजराइल और फिलिस्तीन के बीच शांति वार्ता कराना चाहता है. चीन के विदेश मंत्री ने इज़राइल और फिलिस्तीन के अपने समकक्षों से कहा कि उनका देश क्षेत्र में मध्यस्थता के ताजा प्रयासों के तहत दोनों पक्षों के बीच शांति वार्ता में मदद करने को तैयार है. बता दें एक दशक से अधिक समय से चले आ रहे संघर्ष को समाप्त करने के लिए इज़राइल और फिलिस्तीन के बीच कोई कारगर शांति वार्ता नहीं हुई है.


चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से सोमवार देर रात जारी एक बयान के अनुसार, चीन के विदेश मंत्री छिन कांग ने इज़राइल और फिलिस्तीन के अधिकारियों को सोमवार को फोन किया और दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव को लेकर बीजिंग की चिंता जाहिर की. बयान के मुताबिक, किन ने शांति वार्ता की बहाली के लिए समर्थन भी व्यक्त किया.


सऊदी अरब और ईरान में कराई दोस्ती
गौरतलब है कि चीन ने सऊदी अरब और ईरान के 2016 से ठप पड़े राजनयिक संबंधों को बहाल करने में मदद की थी. यह चीन की कूटनीति का एक नाटकीय क्षण था, जिसके जरिये उसने पश्चिम एशिया में एक राजनयिक खिलाड़ी के तौर पर अपनी क्षमताओं को दर्शाया था.


चीन ने क्या कहा?
कांग ने इज़राइल के विदेश मंत्री एली कोहेन के साथ अपनी बातचीत में जोर देकर कहा कि सऊदी अरब और ईरान ने बातचीत के जरिये मतभेदों को दूर करने का एक अच्छा उदाहरण पेश किया है. उन्होंने कोहेन से कहा कि चीन इज़राइलियों और फलस्तीनियों को राजनीतिक इच्छा शक्ति दिखाने और शांति वार्ता को फिर से शुरू करने के लिए कदम उठाने केवास्ते प्रोत्साहित करता है.


एक अन्य बयान के मुताबिक, कांग ने फिलिस्तीन के विदेश मंत्री रियाद अल-मलिकी से कहा कि चीन शांति वार्ता में सक्रिय भूमिका निभाने को तैयार है. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने दोनों अधिकारियों से कांग की बातचीत पर कहा कि सही काम करने के लिए कभी समय नहीं देखा जाता.


इजराइल ने कही ये बात
इज़राइल के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि कांग और कोहेन ने मुस्लमानों के पवित्र माह ‘रमजान के अंतिम दिनों में टेंपल माउंट पर शांति बनाए रखने के महत्व’ पर चर्चा की, लेकिन फलस्तीनियों के साथ शांति वार्ता का कोई उल्लेख नहीं किया.


इस महीने बढ़ गई हिंसा की घटनाएं
इस महीने, इज़राइल और वेस्ट बैंक में हिंसा काफी बढ़ गई. हिंसा की लपटें यरूशलम में सबसे संवेदनशील पवित्र स्थल अल-अक्सा मस्जिद तक पहुंच गईं, जिसके परिसर में इज़राइली पुलिस ने कई कार्रवाई कीं.


गौरलतब है कि अल-अक्सा मस्जिद एक संवेदनशील पहाड़ी पर स्थित है, जो यहूदियों और मुसलमानों-दोनों के लिए पवित्र स्थान है. अल-अक्सा इस्लाम का तीसरा सबसे पवित्र स्थल है और रमजान के दौरान यहां लोगों की काफी भीड़ रहती है.


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