China Sparrow War: चीन (China) अपने तानाशाही रवैये के लिए जाना जाता है. ऐसा ही कुछ जब उसने आज से 64 साल पहले किया था और उसे लेने के देने पड़ गए थे. चीन में क्रांति के जनक माओत्से तुंग (Mao Zedong) ने देश में मौजूद सभी गौरैया (Sparrow) को मारने का आदेश दे दिया था क्योंकि वो चाहते थे कि अनाज का एक-एक दाना सिर्फ और सिर्फ लोगों के लिए होना चाहिए. लेकिन धरती पर प्राकृतिक रूप से मौजूद इस जीव को मारना चीन को बहुत महंगा पड़ा. गौरैया को बड़े पैमाने पर मारने की वजह से चीन में ऐसा अकाल पड़ गया, जिससे बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो गई.


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चीन में दिया गया था इन जीवों का मारने का आदेश


बता दें कि चीन में माओत्से तुंग के आदेश पर साल 1958 में एक कैंपेन शुरू किया गया था. इसका नाम Four Pests Campaign था. इस अभियान के तहत मच्छर, मक्खी, चूहा और गौरैया को मारना शुरू किया गया था. मच्छरों को मलेरिया आदि बीमारियों, मक्खियों को हैजा और चूहों को प्लेग फैलाने की वजह से मारा गया. मासूम चिड़िया गौरैया को तो इंसानों के करीब माना जाता है लेकिन खेतों से अनाज खाने के आरोप में माओत्से तुंग के आदेश पर उनको भी मारा गया.


माओत्से तुंग की बड़ी गलती


माओत्से तुंग का मानना था कि गौरैया किसानों की कड़ी मेहनत बेकार करती है और अनाज को खा जाती है. इसलिए उसको मार देना चाहिए. लेकिन माओत्से तुंग से गलती ये हुई कि उन्होंने ये ध्यान नहीं रखा कि गौरैया को जड़ मूल से खत्म करने से खाद्य श्रृंखला बिगड़ सकती है. इसका नतीजा ये हुआ कि चीन में भयंकर अकाल पड़ा और जिसमें चीनी नागरिक मारे गए.


गौरैया मारे जाने से पड़ा भयंकर अकाल


गौरतलब है कि गौरैया खेत में सिर्फ अनाज ही नहीं बल्कि वहां मौजूद उन कीड़ों को भी खाती है जो फसलों को खराब करते हैं. जब चीन में गौरैया मार दी गईं तो स्थिति बिगड़ने लगी. 1960 आते-आते धान की पैदावार घट गई. चीन में चावल की खपत ज्यादा होती है. लोगों के घर में खाने को नहीं बचा और वो मरने लगे.


इसके बाद जैसे ही माओत्से तुंग को अपनी गलती का एहसास हुआ तो उन्होंने अपना फैसला वापस ले लिया. Four Pests Campaign को खत्म कर दिया. लेकिन गौरैया के कम होने से टिड्डी और अन्य कीड़ों की संख्या बढ़ गई और उनपर लगाम लगाना मुश्किल हो गया. नतीजा ये हुआ कि इससे चीन में भयंकर अकाल पड़ा.


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