Chinese army training: चीन की विस्तारवादी नीतियों से सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के कई मुल्क परेशान हैं. यही वजह है कि अमेरिका जैसा देश में कई बार चीन को खुली चेतावनी दे चुका है और भारतीय सेना भी बॉर्डर पर ड्रैगन की हर हरकत पर नजर बनाए हुए है. इस बीच चीन अपनी सेना को आधुनिक बनाने के लिए लगातार कोशिशें कर रहा है. चीन की सेना यानी पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के रणनीतिक विशेषज्ञों ने अब अपने ऑफिसर कैडेट्स को ट्रेनिंग देने के लिए ड्रोन, रोबोट और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है.


ट्रेनिंग में ड्रोन और रोबोट का इस्तेमाल


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हाल ही में एक ऑफिसर ट्रेनिंग एकेडमी में लैंडिंग ऑपरेशन की ट्रेनिंग के लिए ड्रोन और रोबोट का इस्तेमाल किया गया है. शिजियाझुआंग के आर्मी इंफेंट्री कॉलेज, PLA की आर्मी मेडिकल यूनिवर्सिटी, शिजियाझुआंग फ्लाइट एकेडमी और PLA की एक एविएशन ब्रिगेड ने हाल ही में एक बड़ा सैन्य अभ्यास किया है. इसमें 1200 ऑफिसर कैडेट्स और PLA के सैनिकों ने हिस्सा लिया.


इस अभ्यास में 10 दिन तक युद्ध के असली हालात में दिन-रात चलने वाली कार्रवाइयों का अभ्यास किया गया. अभ्यास में कैडेट्स ने समुद्र से जमीन पर हमले के लिए बख्तरबंद गाड़ियों और हमलावर नावों का इस्तेमाल किया. लैंडिंग के बाद कैडेट्स ने PLA के सैनिकों के साथ मिलकर शहरी इलाके में हमले और कब्जा करने का अभ्यास किया.


सैनिकों से तालमेल बैठाने की कोशिश


सबसे खास बात ये थी इस अभ्यास में ड्रोन, ऑटोमेटिक टोही गाड़ियां, ऑटोमेटिक एंटी टैंक व्हीकल, ऑटोमेटिक वैपन और रोबोटिक डॉग का भी बहुत बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया. अभ्यास में सैनिकों और ऑटोमेटिक वैपन के बीच तालमेल को भी परखा गया. अभ्यास में शामिल अधिकारियों के मुताबिक सैनिकों का ड्रोन और रोबोट्स के साथ तालमेल बेहतरीन रहा और कमान-कंट्रोल को लेकर कोई उलझन नहीं आई है.


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PLA अपने नई पीढ़ी के सैनिकों और अधिकारियों को उन युद्धों का अनुभव देना चाहती है जिसकी तैयारी चीन कर रहा है. चीन ने यूक्रेन युद्ध के नतीजों को देखने के बाद स्मार्ट ड्रोन बनाने की कोशिशें तेज कर दी हैं जो भविष्य में युद्ध की दिशा तय करेंगे. इस तरह के समुद्र से जमीन पर हमले की कार्रवाइयों में ड्रोन और रोबोट्स का इस्तेमाल साफ संकेत दे रहा है कि चीन भविष्य में ताइवान पर हमले की तैयारी कर रहा है. 


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