Imran Khan and Pakistan Army Complicated Relationship: इमरान खान की मंगलवार को हुई गिरफ्तारी के बाद पूरा पाकिस्तान में बवाल मच गया. उनकी गिरफ्तारी की खबर फैलते ही पाकिस्तान के कई शहरों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए. कई जगहों पर प्रदर्शनकारी हिंसक हो गए. हालांकि गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने इमरान खान की गिरफ्तारी को गैरकानूनी करार दिया और उन्हें रिहा करने का आदेश दिया.


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कभी सेना की 'आंखों का तारा' कहे जाने वाले इमरान खान को मंगलवार को अर्धसैनिक बलों ने उस समय गिरफ्तार कर लिया, जब वह भ्रष्टाचार के एक मामले में सुनवाई के लिए इस्लामाबाद हाई कोर्ट में मौजूद थे. पाकिस्तान रेंजर्स खान को गिरफ्तार करने के बाद उन्हें एक वैन में वहां से ले गए. टीवी फुटेज में रेंजर्स खान को कॉलर से पकड़कर ले जाते और उन्हें एक जेल वाहन में बैठाते हुए दिखे. रेंजर्स, गृह मंत्रालय के तहत काम करते हैं और आमतौर पर सेना से प्रतिनियुक्ति पर आये अधिकारियों द्वारा निर्देशित होते हैं.


अब सवाल यह है कि सेना के साथ इमरान खान के रिश्ते आखिर इतने कैसे बिगड़ गए कि बात उनकी गिरफ्तारी तक पहुंच गई.


गिरफ्तारी का तत्कालिक कारण
इमरान खान ने 7 मई को एक रैली में पाकिस्तान सेना में कार्यरत आईएसआई अधिकारी मेजर जनरल फैसल नसीर पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि नसीर ने उन्हें दो बार जान से मारने की कोशिश की. उन्होंने टीवी एंकर अरशद शरीफ की हत्या में नसीर का हाथ होने का आरोप लगाया. इमरान खान के इन आरोपों की पाकिस्तान सेना ने कड़ी आलोचना की थी.


इमरान खान के द्वारा लगाए गए आरोपों को लिमिट क्रॉस करना माना जा रहा है. बताया जा रहा है कि शहबाज शरीफ सरकार इतना बड़ा फैसला बिना सेना की सहमति ने नहीं ले सकती है.


खान द्वारा मेजर जनरल फैसल नसीर पर लगाए गए आरोपों को उनकी गिरफ्तारी की एक तत्कालिक वजह मानी जा रही है लेकिन सेना और खान का रिश्ता काफी पुराना रहा है.


सेना की मदद से सत्ता की हासिल
पाकिस्तान में फौज सबसे बड़ी ताकत है यह किसी से छिपी बात नहीं है. ऐसा माना जाता है कि सेना की वजह से ही खान का सत्ता सपना सच हो पाया. दरअसल सेना अब पुराने राजनीतिक चेहरों के बीच एक नए चेहरे की तलाश में थी और उनकी खोज इमरान पर जाकर पूरी हुई.  प्रधानमंत्री के रूप में इमरान खान ने कई बार सार्वजनिक मंचों से इस बात को दोहराया कि उनकी सरकार और सेना के बीच बेहतर रिश्ते हैं.


ऐसे उभरे सेना के साथ मतभेद
इमरान सरकार जनता से किए अपने वादे निभाने में नकाम रही खासकर कोविड से निपटने के मामले में. जनता में बढ़ते अंसतोष ने पाक सेना इमरान को लेकर फिर से सोचने लगी.  इस बीच तत्कालीन आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा और लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद के बीच भतभेद उभरने लगे. हमीद को अगले आर्मी चीफ के तौर पर देखा जा रहा था.


इमरान खान हमीद को आईएसआई का महानिदेशक बनाना चाहते थे. लेकिन वह ऐसा कर नहीं पाए और लेफ्टिनेंट जनरल नदीन अंजुम को यह पद मिला.


युक्रेन युद्ध पर सेना और सरकार की अलग-अलग राय
यूक्रेन युद्ध के दारौन भी सेना और सरकार में मतभेद दिखे. इमरान जहां रूसी हमले की आलोचना करने से बचते दिखे वहीं जनरल बाजवा ने हमले के लिए मॉस्को की आलोचना की.


इमरान को लगने लगा था उन्हें अब सत्ता से हटाया जा सकता है और अप्रैल 2022 में उनका डर सच भी साबित हुआ जब अविश्वास प्रस्ताव के जरिए उनकी सरकार गिरा दी गई. हालांकि इमरान खान ने अपनी सरकार बचाने के लिए बहुत कोशिश की थी.


सरकार जाने के बाद इमरान खान ने सेना को लेकर बेहद हमलावर रुख अपना लिया. उनके निशाने पर जनरल कमर जावेद बाजवा विशेष रूप से रहे.  इमरान खान ने जून 2022 में कहा कि चूंकि उनकी सरकार एक कमजोर सरकार थी. इसलिए उसे हर जगह से ब्लैकमेल किया गया. इसी तरह जनवरी 2023 में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बोलते हुए इमरान खान ने कहा था कि सरकार बदलने का फैसला एक व्यक्ति का था और उसी ने इसकी साजिश रची. माना जाता है कि उनका इशारा जनरल बाजवा थे.