CPEC: पाकिस्तान में China के ड्रीम प्रोजेक्ट के 10 साल पूरे, एक दशक में इस्लामाबाद ने क्या खोया-क्या पाया?
CPEC News BRI: चीन ने CPEC के जरिए 10 साल में पाकिस्तान में करीब 60 अरब डॉलर का निवेश किया है. प्रोजेक्ट अपने तय समय से कहीं पीछे चल रहा है. भारत इस पर अपनी आपत्ति जता चुका है. ऐसे में पाकिस्तान में इस प्रोजेक्ट के 10 साल पूरा होने के मौके पर पाकिस्तान ने क्या खोया-क्या पाया, आइए आपको बताते हैं.
China Pakistan relation CPEC Project: चीन (China) के उप प्रधानमंत्री ही लीफंग तीन दिन के पाकिस्तान दौरे पर इस्लामाबाद पहुंचे हैं. वो यहां शी जिनपिंग (Xi Jinping) के ड्रीम प्रोजेक्ट यानी अरबों डॉलर की महत्वाकांक्षी परियोजना चीन-पाकिस्तान इकॉनामिक कॉरिडोर (CPEC) की 10वीं सालगिरह पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होंगे. पाक (PAK) के विदेश विभाग कार्यालय (FO) ने यह जानकारी साझा की है.
पाकिस्तान ने क्या खोया-क्या पाया?
चीन ने CPEC के जरिए 10 साल में पाकिस्तान में करीब 60 अरब डॉलर का निवेश किया है. इस निवेश में प्रोजेक्ट के अलावा एक बंदरगाह का निर्माण और रेलवे लाइन बिछाना भी शामिल है. इसी प्रोजेक्ट में चीन से पाकिस्तान तक रेल लाइन बिछाने की बात कही थी. इसी परियोजना के 10 साल पूरा होने पर पाकिस्तान में भव्य आयोजन हो रहा है. हालांकि, इस परियोजना की समीक्षा से अबतक दोनों देशों ने परहेज किया है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जियोपॉलिटिकल एक्सपर्ट्स का मानना है चीन, पाकिस्तान को टूल की तरह इस्तेमाल करके अपनी विस्तारवादी नीति को आगे बढ़ाते हुए दुनिया के दूसरे छोर तक जाना चाहता है. ऐसे में बड़ा सवाल ये उठता है कि आखिर चीनी निवेश से इस्लामाबाद को क्या मिला?
CPEC पर पाक का बयान
ये तो तय है कि पाकिस्ता इस प्रोजेक्ट के नाम पर अलग-अलग वजहों से चीन को उलझाए हुए है. कई मोर्चों पर काम अधूरा पड़ा है. यानी चीन जिस मंशा से पाकिस्तान में अपने पैसे फंसा रहा था उसका उसे कितना फायदा मिला? हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि पाकिस्तान के योजना, विकास और सुधार मंत्री अहसान इकबाल ने हाल ही में कहा था कि 25 अरब डॉलर की परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं और शहबाज शरीफ की सरकार अब उन परियोजनाओं को पूरा करने पर फोकस कर रही है जिन्हें 2020 तक पूरा हो जाना चाहिए था.
'पाकिस्तान को जो मिला वो ऊंट के मुंह में जीरा'
पाकिस्तान के मुताबिक, CPEC के तहत बनी 13 बिजली परियोजनाओं और 4000 मेगावाट बिजली ट्रांसमिशन लाइन पर काम पूरा हो चुका है. 10 साल पहले की पाकिस्तान सरकार ने अंदाजा लगाया था कि उसकी बड़ी ऊर्जा जरूरत इससे पूरी हो जाएगी. जबकि 2023 में अभीतक CPEC की परियोजनाएं पाकिस्तान की कुल जरूरत का मात्र एक-तिहाई बिजली दे पा रही हैं. यानी पाकिस्तान का सीपीईसी के जरिए बिजली की जरूरत पूरा करने का सपना अधूरा है. यानी उसे रत्ती भर बिजली मिल रही है.
पाकिस्तान-चीन के आंकड़े
अहसान इकबाल ने अपने भाषण में ये भी कहा था कि सीपीईसी ने पाकिस्तान को उत्तर से दक्षिण तक प्रमुख परिवहन नेटवर्क को बेहतर बनाने में प्रभावी ढंग से मदद की है. इसी की पेमेंट से लाहौर में ऑरेंज लाइन मेट्रो ट्रेन सहित कई बुनियादी ढांचे की नींव रखी है. इकबाल ने दावा किया कि CPEC ने पाकिस्तान में दो लाख से ज्यादा नई नौकरियां (JOB) पैदा की हैं. तीन महीने पहले चीन की सरकारी मीडिया ने यह अनुमान लगाया कि पाकिस्तानी कर्मचारी इनमें से लगभग 155000 पदों पर तैनात थे. हालांकि, पाकिस्तान के निवेश बोर्ड के पूर्व प्रमुख हारून शरीफ चीन के इस दावे से इत्तेफाक नहीं रखते कि CPEC से इतनी नौकरियां पैदा हुई हैं. उन्होंने कहा कि सरकारी आंकड़े केवल योजना मंत्रालय के दावे थे. इसका कोई सबूत नहीं दिया गया क्योंकि उन्हें किसी थर्ड पार्टी एजेंसी या संस्था ने क्रॉसचेकनहीं किया था.
क्या है सीपीईसी
सीपीईसी परियोजना पाकिस्तान के बलूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह को चीन के शिंजियांग प्रांत को जोड़ती है. यह चीन की अरबों डॉलर की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड पहल (BRI) की प्रमुख परियोजना है. भारत, सीपीईसी को लेकर चीन के समक्ष विरोध जता चुका है क्योंकि यह परियोजना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरती है.
(एजेंसी इनपुट के साथ)