India-China Controversy: 1967 में भारत ने चीन को दिया था मुंह तोड़ जवाब, युद्ध में दिखाया था गजब का साहस
Sino Indo War: आपने अक्सर भारत और चीन के बीच हुए 1962 के युद्ध के बारे में तो बहुत कुछ सुना होगा. लेकिन 2020 में हुए डिस्प्यूट से पहले भारत चीन (China) के बीच जो सबसे बड़ी जंग छिड़ी थी, वो 1962 में नहीं बल्कि 1967 में हुई थी. 1967 में भारत चीन के बीच हुए भयंकर युद्ध में भारत (India) ने गजब का प्रदर्शन किया था.
India-China Relationships: सिक्किम के दो पास, नाथू ला और चो ला पास, भारत और चीन की इस लड़ाई के मैदान बने. कुछ लोग इसे दूसरा साइनो इंडियन वॉर भी कहते हैं. नाथू ला (Nathu La) में दोनों देशों के बीच हुआ ये मुकाबला चार दिन तक चला जबकि चो ला (Cho La) में एक ही दिन के अंदर भारत ने बाजी मार ली और चीनी सेना को मुंह तोड़ जवाब दिया.
भारत-चीन की बाउंड्री का मामला
भारत के सिक्किम (Sikkim) राज्य की बाउंड्री चीन से सटी हुई है. सिक्किम से तिब्बत की राजधानी ल्हासा जाने का रूट ट्रेडिंग के लिए काफी अहमियत रखता है. नाथू ला पास पर स्थित ऊंची जगहों पर भारत की पोस्ट की वजह से भारत आसानी से चीनी सेना की मूवमेंट पर पैनी नजर बनाए रख सकता है. युद्ध के हिसाब से देखा जाए तो भारत इस फायदे को चीनी सेना पर फायरिंग (Firing) करने के लिए भी इस्तेमाल कर सकता है.
भारत ने युद्ध में पाकिस्तान को धूल चटाई
1962 के युद्ध के बाद नाथू ला पास से ट्रेडिंग पर रोक लगा दी गई थी. तिब्बत (Tibet) और सिक्किम के ट्रेडिंग रूट को भी बंद कर दिया गया था. 1962 की हार के बाद भारत ने खुद की मिलिट्री पर काम करना शुरू किया. 1965 में भारत पाकिस्तान युद्ध (India Pakistan War) में भारत की जीत हुई जिससे देश को उसका खोया हुआ कॉन्फिडेंस वापस मिला. लेकिन इस युद्ध में जीत ये साबित करने के लिए काफी नहीं थी कि यही मिलिट्री चीनी सेना के आगे भी टिक पाएगी या नहीं.
1967 के युद्ध की नींव
इस युद्ध का विवाद (Dispute) भी बॉर्डर ही था. जहां भारत मैकमोहन लाइन को बॉर्डर मानता है, वहीं चीन ऑफिशियली इस बात को मानने से मना कर देता है. अगस्त 1967 में भारत ने एक फैसले के तहत नाथू ला पास के इलाके में फिजिकल बाउंड्री बनाना यानी तार लगाने (Fencing) का काम शूरू कर दिया था. लेकिन इस काम के शुरू होते ही चीन ने इसे रोकने में एड़ी चोटी का जोर लगा दिया. इस वजह से दोनों देशों की सेना के बीच छोटी मोटी झड़प होती रहीं.
चीन पर भारी पड़ा भारत
फेंसिंग के पास खड़े रहकर चीनी सेना भारतीय सेना (Indian Army) को डॉमिनेट करने की कोशिश करती थी. इसी दौरान ऐसा माना जाता है कि भारतीय फौज से कम्यूनिकेट करने वाले एक सीनियर अधिकारी को गुस्सा आता है और वो गोली चलाने के आदेश दे देता है. इस गोलीबारी में भारतीय सेना के 60 जवान शहीद (Martyr) हो जाते हैं. अगले तीन दिन तक ये युद्ध चलता रहा और भारत ने वीरगति को प्राप्त हुए देश के जवानों को निराश नहीं होने दिया.
चीन को माननी पड़ी हार
भारत ने चीन को हमेशा याद रहने वाला सबक सिखा दिया. भारतीय सेना ने चीनी चौकियों को तहस-नहस करके रख दिया था जिसके बाद चीन ने पीछे हटने का फैसला (Decision) किया. ऐसी ही एक लड़ाई चो ला पास पर भी होती है. यहां पर भी फेंसिंग की वजह से दोनों देशों के बीच टकराव शुरू हो जाता है. चीन ने गोलीबारी शुरू की तो भारतीय सेना ने अपनी बहादुरी का प्रदर्शन करते हुए चीनी सेना (Chinese Army) को लगभग 3 किलोमीटर तक पीछे हटने पर मजबूर कर दिया.
चीन को हुआ था भारी नुकसान
भारत के रिकॉर्ड्स (Records) के मुताबिक 1962 के इस युद्ध में भारत के 88 सैनिक वीरगति को प्राप्त हुई तो वहीं चीन के 340 यानी तिगुने से भी ज्यादा सैनिक जवाबी कार्रवाई में मारे गए. भारत ने चीन से इस युद्ध में अपनी पिछली हार का बदला लेते हुए चीन को दिखा दिया कि हमला (Attack) करने पर उसे मुंह की खानी पड़ेगी.
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