Dr S Jaishankar to China Foreign Minister: सरहद पर पिछले 3 सालों से चल रही तनातनी के बीच भारत और चीन के विदेश मंत्रियों की बैठक हुई. जी-20 की बैठक में भाग लेने के लिए दिल्ली आए चीन के विदेश मंत्री किन गांग के साथ भारतीय विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने मुलाकात कर उन्हें पूरे देश की भावना खरी-खरी सुना दी. उन्होंने दोटूक कहा कि दोनों देशों के बीच संबंध ‘असामान्य' दौर से गुजर रहे हैं और सीमा पर शांति के बिना ये नॉर्मल नहीं हो सकते.


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नए चीनी विदेश मंत्री के साथ पहली बैठक


जयशंकर (Dr S Jaishankar) ने बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए कहा, ‘उनके (किन गांग के) विदेश मंत्री बनने के बाद यह हमारी पहली मुलाकात है. हमने एक-दूसरे से करीब 45 मिनट चर्चा की. मोटे तौर पर यह चर्चा हमारे संबंधों की वर्तमान स्थिति के बारे में थी, जिसके बारे में आपमें से ज्यादातर लोगों ने सुना होगा कि वह (संबंध) असामान्य है.'


सैन्य गतिरोध पर किन गांग को सुनाया दोटूक


उन्होंने कहा, ‘और बैठक में मैंने जिन विशेषणों का उपयोग किया उनमें यह (असामान्य) भी था. संबंधों में कुछ वास्तविक समस्याएं हैं, जिन पर ध्यान देने और खुलकर दिल से बात करने की जरूरत है.' विदेश मंत्री ने कहा कि बैठक में सामान्य तौर पर द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा हुई. हमारी बातचीत में द्विपक्षीय संबंधों, विशेष रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति के लिए मौजूदा चुनौतियों पर ध्यान देने पर जोर दिया गया. हमने जी-20 के एजेंडा के बारे में भी बातचीत की.'


किन गांग (Qin Gang) पिछले साल दिसंबर में चीन के नए विदेश मंत्री बने हैं. उनसे पहले वांग यी चीन के विदेश मंत्री थे. भारत लंबे अरसे से कहता रहा है कि चीन के साथ उसके संबंध तब तक सामान्य नहीं हो सकते, जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति नहीं आती.


पिछले विदेश मंत्री को भी दिया था संदेश


जयशंकर (Dr S Jaishankar) ने करीब आठ महीने पहले बाली में हुई जी-20 की एक बैठक से अलग तत्कालीन चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की थी. उस दौरान उन्होंने वांग को पूर्वी लद्दाख में लंबित सभी मुद्दों के जल्द समाधान की जरूरत का संदेश दिया था. उन्होंने वांग यी से कहा था कि दोनों देशों के बीच संबंध आपसी सम्मान, आपसी संवेदनशीलता और आपसी हितों पर आधारित होने चाहिए. 


पूर्वी लद्दाख में आमने-सामने डटे हैं भारत-चीन


दोनों देश अप्रैल 2020 से ही गंभीर डेडलॉक की स्थिति में हैं. चीन ने सालाना मिलिट्री ड्रिल के बहाने अपने 50 हजार सैनिक इकट्ठे करके उन्हें पूर्वी लद्दाख के इलाके में आगे बढ़ा दिया. इसका पता चलने पर भारत ने भी इतनी ही संख्या में जवान और हथियार सरहद पर भेज दिए. तब से ही दोनों देशों के बीच सैन्य तनाव की स्थिति बनी हुई है. भारत भी एलएसी पर हथियारों की तैनाती बढ़ाकर उसे बार-बार संदेश दे रहा है कि वह अब उससे दबने वाला नहीं है.  


(इनपुट भाषा)


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