Javed Akhtar at Faiz Festival Lahore in Pakistan: बॉलीवुड के प्रसिद्ध गीतकार और डॉयलाग राइटर जावेद अख्तर (Javed Akhtar) इन दिनों तीन दिवसीय फैज़ फेस्टिवल में शामिल होने के लिए पाकिस्तान के लाहौर में गए हुए हैं. इस शो में जावेद अख्तर समेत दुनिया भर के कई देशों के लोग शामिल हो रहे हैं. तीन दिनों तक चलने इस कार्यक्रम में डांस, नाटक, चर्चा समेत 60 से ज्यादा अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए गए. उन्होंने वहां पर अपनी किताब का विमोचन किया. फेस्टिवल के आखिरी दिन उन्होंने कुछ ऐसी कड़वी बातें कहीं, जिसे सुनकर हर पाकिस्तानी की नजरें शर्म से झुक गई. आप भी एक भारतीय के नाते जब उनकी बातों को सुनेंगे तो आपका सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा. 


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'आपके मुल्क में लता मंगेशकर का कार्यक्रम क्यों नहीं हुआ'


पाकिस्तान की संकीर्णता पर चोट करते हुए जावेद अख्तर (Javed Akhtar) ने कहा, 'हमने तो नुसरत फतेह अली खान के बड़े-बड़े फंक्शन किए हैं, मेहंदी हसन के बड़े-बड़े फंक्शन किए हैं. आपके मुल्क में तो लता मंगेशकर का कोई फंक्शन नहीं हुआ. तो हकीकत ये है कि अब हम एक-दूसरे को इल्जाम न दें. इससे बात नहीं होगी. अहम बात ये है कि इन दिनों जो ये फिजा गरम है, वह कम होनी चाहिए.' 


 



'मुंबई के हमलावर नार्वे-इजिप्ट से नहीं आए थे'


मुंबई हमले पर बात करते हुए उन्होंने कहा, 'हम तो बम्बई के लोग हैं. हमने देखा है कि हमारे शहर पर कैसे हमला हुआ था. वे लोग नार्वे से तो नहीं होनी चाहिए और न ही इजिप्ट से आए थे. वे सब लोग अब भी आपके मुल्क में इधर-उधर घूम रहे हैं. तो ये शिकायत अगर हिंदुस्तानी के दिल में हो तो आपको बुरा नहीं मानना चाहिए.' 


जावेद की खरी-खरी से झुके पाकिस्तानियों के सिर


अहम बात ये है कि जब जावेद अख्तर (Javed Akhtar) ये खरी-खरी बातें सुना रहे थे तो वहां बैठे लोगों की ओर से कोई विरोध नहीं हुआ. ऐसा लग रहा था कि जैसे वे लोग शर्मसार हैं और अपने देश की इन करतूतों को अच्छी तरह जानते हैं. उन्होंने दोनों मुल्कों के बीच भाईचारा बढ़ाने और आपसी विवादों को शांति के साथ निपटाने की वकालत की. 


5 साल बाद पाकिस्तान पहुंचे थे जावेद अख्तर


रिपोर्ट के मुताबिक जावेद अख्तर (Javed Akhtar) पाकिस्तान के इस फैज़ फेस्टिवल में 5 साल के बाद शामिल हुए. इस फेस्टिवल की शुरुआत वर्ष 2015 में हुई थी.  इसका आयोजन पाकिस्तान का फैज़ फाउंडेशन ट्रस्ट और अलहमरा आर्ट्स काउंसिल मिलकर करते हैं. जिन फैज के नाम पर ये कार्यक्रम होता है, वे वही फैज अहमद हैं, जिन्होंने विवादास्पद ‘हम देखेंगे, लाजिम है हम भी देखेंगे…’ की नज्म लिखी थी. 


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