Bilawal Bhutto on Kashmir: पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने स्वीकार किया कि पाकिस्तान के सामने कश्मीर मामले को संयुक्त राष्ट्र के एजेंडे के केंद्र में लाने का मुश्किल काम है. इस दौरान जब भारत का जिक्र किया तो उनकी जुबान लड़खड़ा गई. उन्होंने पड़ोसी शब्द का इस्तेमाल करने से पहले हमारे मित्र शब्द का इस्तेमाल किया.


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जरदारी ने फलस्तीन और कश्मीर के हालातों को एक समान बताए जाने वाले एक प्रश्न पर उन्होंने शुक्रवार को एक संवाद सम्मेलन में कहा कि आपने यह सही कहा कि हमारे सामने कश्मीर को संयुक्त राष्ट्र के एजेंडे के केंद्र में लाने का विशेष रूप से मुश्किल काम है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र के हर मंच पर जम्मू कश्मीर का मुद्दा उठाता है. भले ही वहां पर किसी अन्य विषय पर चर्चा क्यों ना की जा रही हो. बहरहाल इस मामले में संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों का व्यापक समर्थन हासिल करने में विफल रहा है. अधिकतर देश कश्मीर को भारत और पाकिस्तान के बीच विपक्षी मामला मानते हैं.


महज 34 वर्षीय विदेश मंत्री जरदारी ने कहा कि कभी कश्मीर का मामला उठाया जाता है तो हमारे मित्र, हमारे पड़ोसी देश इसका कड़ा और जोर शोर से विरोध करते हैं. दावा करते हैं कि यह संयुक्त राष्ट्र का विवाद नहीं है. ये विवादित क्षेत्र नहीं है. भारत में 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया था. इसके बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव और बढ़ गया है. भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से साफ कहा है कि अनुच्छेद 370 को रद्द करना उसका आंतरिक मामला है.


जरदारी ने यह भी कहा कि सच्चाई को सामने लाना हमारे लिए मुश्किल है, लेकिन हम लगातार इस पर प्रयास करते रहेंगे. हर मौके पर और हर मंच पर फलस्तीन और कश्मीर के लोगों की स्थिति का जिक्र करते रहेंगे. भले ही वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद हो या कोई अन्य कार्यक्रम हो, मगर इन मुद्दों को हमेशा उठाया जाएगा. जरदारी ने कहा कि मुझे लगता है कि आप लोगों ने जो समानता बताई है, वह उचित है. कश्मीर के लोगों की स्थिति और फलस्तीन के लोगों की स्थिति में कई समानताएं हैं. उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने दोनों मामलों पर ध्यान नहीं दिया है. हम चाहते हैं कि न केवल फलस्तीन बल्कि कश्मीर पर भी अतिरिक्त ध्यान देने की जरूरत है.


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(एजेंसी इनपुट के साथ)