Pakistan Politics: पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने दावा किया है कि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने बार-बार आगाह किया था कि महत्वपूर्ण बातचीत के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय ‘‘सुरक्षित जगह नहीं’’ है.  बुधवार को पूर्वी पीएम इमरान खान का एक कथित वीडियो सामने आया है जिसमें तत्कालीन प्रधान सचिव आज़म खान से अपनी सरकार को बचाने के बारे में बात कर रहे हैं.


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पूर्व सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने कहा कि जनरल बाजवा ने खान को नई टेक्नोलॉजी का उपयोग करके प्रधानमंत्री आवास को जासूसी से बचाने के लिए भी कहा था, क्योंकि सेना प्रमुख के अनुसार, ‘‘प्रधानमंत्री आवास में बातचीत करना सुरक्षित नहीं था.’’


यह स्वीकार्य नहीं है कि पीएमओ हैकिंग का शिकार हो
‘जियो न्यूज’ से बातचीत के दौरान चौधरी ने कहा, ‘‘सेना प्रमुख ने इमरान खान से कहा था कि जिन बिंदुओं पर हम यहां चर्चा करते हैं, वे रिकॉर्ड किए जाते हैं और बाद में लीक हो जाते हैं.’’ उन्होंने कहा कि यह स्वीकार्य नहीं है कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) हैकिंग का शिकार हो.


चौधरी ने दावा किया, "जनरल बाजवा ने कहा था कि नवाज शरीफ ने प्रधानमंत्री आवास से बाहर कदम रखा था, जब वह उनसे किसी महत्वपूर्ण मुद्दे पर बात करना चाहते थे." चौधरी का मानना ​​है कि सेना ने अपने पूर्व प्रमुख अशफाक परवेज कयानी के दौर में अपने मुख्यालय के कमरों को अत्याधुनिक तकनीक से सुरक्षित कर लिया है.


पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने उनकी और कैबिनेट सहयोगियों की बातचीत की ऑडियो क्लिप वायरल होने के बाद इस मुद्दे की उच्च-स्तरीय जांच का आदेश दिया है.


मुझे आश्चर्य नहीं होगा अगर
चौधरी ने कहा, "मुझे आश्चर्य नहीं होगा अगर जांच में पता चलता है कि हैकिंग (टेलीफोन कॉल की) विदेश से की गई थी." उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय को हैक करना अस्वीकार्य है, चाहे कोई भी प्रधानमंत्री हो - चाहे नवाज शरीफ, शहबाज शरीफ या इमरान खान. चौधरी ने कहा कि वह प्रधानमंत्री के टेलीफोन टैप किए जाने का समर्थन नहीं करते हैं. पीटीआई नेता ने अपनी पार्टी की मांग दोहराई कि सरकार साइबर की जांच करे. उन्होंने सवाल किया कि पाकिस्तान की सरकार और सुप्रीम कोर्ट साइबर के बारे में जांच कराने के लिए अनिच्छुक क्यों हैं.


इमरान खान की बातचीत का ऑडियो लीक
बता दें बुधवार को पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान का एक कथित ऑडियो सामने आया है जिसमें वह इस बारे में बात कर रहे हैं कि अप्रैल में उनकी सरकार गिराने को साजिश के रूप से चित्रित करने के लिए विवादित ‘साइफर’ (गूढ़लेख) का फायदा कैसे उठाया जाए. सोशल मीडिया पर आए ऑडियो क्लिप में इमरान और उनके तत्कालीन प्रधान सचिव आज़म खान के बीच बातचीत हो रही है. वे वाशिंगटन में पाकिस्तान के राजदूत की एक अमेरिकी की अधिकारी के साथ मुलाकात को लेकर उनके द्वारा भेजे गए, सांकेतिक भाषा में लिखे ‘साइफर’ के बारे में बात कर रहे हैं.


पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के प्रमुख खान की सरकार अप्रैल में संसद में अविश्वास प्रस्ताव हारने से गिर गई थी. खान ने इस ‘साइफर’ का हवाला देकर आरोप लगाया था कि उनकी सरकार गिराने के लिए अमेरिका की अगुवाई में साजिश रची गई थी, क्योंकि उन्होंने रूस, चीन और अफगानिस्तान के मामले में स्वतंत्र विदेश नीति के तहत फैसले किए. हालांकि अमेरिका ने इस आरोप से इनकार किया है.


क्या है इमरान खान के लीक ऑडियो में?


लीक ऑडियो में इमरान खान को यह कहते सुना जा सकता है, “ हमें सिर्फ इसी (साइफर) पर खेलना है. हमें (किसी भी देश का) नाम लेने की ज़रूरत नहीं है. हमें बस इसके साथ खेलना है, कि (अविश्वास प्रस्ताव की) यह तारीख पहले (से तय) थी .”


दूसरी आवाज़ ज़ाहिर तौर पर आज़म खान की है जो ‘साइफर’ पर बैठक बुलाने की सलाह दे रहे हैं.


उन्होंने कहा, “ "देखिए, यदि आपको याद हो, तो उसमें राजदूत ने अंत में आपत् तिपत्र (भेजने) के लिए लिखा है. भले ही आपत् तिपत्र नहीं भेजा जाना है.”


आज़म खान ने कहा, “ शाह महमूद कुरैशी (इमरान की सरकार में विदेश मंत्री) और विदेश सचिव के साथ बैठक करते हैं. शाह महमूद कुरैशी उस पत्र को पढ़ेंगे और जो कुछ भी वह पढ़ेंगे उसे एक प्रति में बदल दिया जाएगा. फिर मैं (इससे) मिनट (लिखित ब्यौरा) तैयार करूंगा कि विदेश सचिव ने इसे तैयार किया है.”


पूर्व प्रधान सचिव ने कहा, “ लेकिन इसका (साइफर का) यही विश्लेषण होना चाहिए. हम इसका विश्लेषण करेंगे और उसका ब्यौरा तैयार करेंगे, क्योंकि हम चाहते हैं कि यह आधिकारिक रिकॉर्ड बन जाए.”


वह बताते हैं कि विश्लेषण का यह निष्कर्ष निकालेगा कि "यह एक धमकी है. इसे कूटनीतिक भाषा में धमकी कहा जाता है."


(इनपुट - भाषा)


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