Pakistan out of FATF gray list: करीब 4 साल तक हाथ-पैर मारने के बाद पाकिस्तान (Pakistan) आखिरकार FATF की ग्रे लिस्ट से बाहर हो गया है. इसे पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है. अब वह अगले आम चुनाव में विपक्ष के सामने मजबूत स्टैंड के साथ उतर सकेगी. लेकिन सवाल उठता है कि इस लिस्ट से बाहर होने के बाद क्या वहां की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था पर भी कोई असर पड़ेगा. क्या पाकिस्तान अपने ऊपर चढ़े 60 खरब रुपये के कर्ज को चुकाने में कामयाब हो पाएगा.


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पाकिस्तान को लॉन्ग टर्म में फायदा


फाइनेंस एक्सपर्टों के मुताबिक ग्रे लिस्ट से बाहर होने का पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था (Pakistani Economy) को एकदम से तो कोई फायदा नहीं होगा. लेकिन इससे आने वाले वक्त में उसकी आर्थिक मुश्किलें कुछ कम जरूर हो सकती हैं. सिटीग्रुप के पूर्व बैंकर यूसुफ नजर के अनुसार FATF की ग्रे लिस्ट से बाहर होने पर पाकिस्तान से जुड़े इंटरनेशनल ट्रांजेक्शंस की जांच कम हो सकती है. फिलहाल आतंक परस्त देश का ठप्पा लगने की वजह से दुनिया भर की जांच एजेंसियां पाकिस्तान को होने वाले ट्रांजेक्शन की गंभीरता से जांच करती रही हैं लेकिन अब ग्रे लिस्ट से बाहर होने के बाद इसमें कमी आ सकती है.


विदेशी निवेश आने की उम्मीद


यूसुफ नजर के मुताबिक पाकिस्तान (Pakistan) पर खरबों रुपये का कर्ज है. इस कर्ज को चुकाने के लिए उसे बड़ी मात्रा में विदेश निवेश और नए कल-कारखानों की जरूरत है. लेकिन ग्रे लिस्ट में शामिल होने की वजह से पाकिस्तान कहीं से विदेशी निवेश हासिल नहीं कर पा रहा था. सत्ता में आने के बाद शहबाज शरीफ सरकार ने पश्चिमी देशों के साथ अपने रिश्ते सुधारने पर ध्यान दिया. इस मेहनत का असर भी दिखा और जर्मनी, जापान और अमेरिका ने पाकिस्तान में निवेश का आश्वासन दिया. अब पाकिस्तान ग्रे लिस्ट से बाहर आ गया है तो उम्मीद है कि पश्चिमी देश अपने वादे को पूरा करेंगे, जिससे ढहती पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी.


देश पर 60 खरब रुपये का कर्ज


पाकिस्तानी अखबार द एक्‍सप्रेस ट्रिब्‍यून के अनुसार, पाकिस्तान (Pakistan) इस वक्त 60 खरब रुपये के कर्ज में डूबा हुआ है और यह कर्ज दिनोंदिन बढ़ता ही जा रहा है. पाकिस्तान में जो भी सरकार सत्ता में आई, उसने शॉर्टकट अपनाते हुए विदेशों से भारी-भरकम कर्ज लिए. सबसे ज्यादा विदेशी कर्ज लेने का रिकॉर्ड इमरान खान सरकार के नाम पर है. उसने सीपैक के नाम पर चीन से अरबों डॉलर का कर्ज लिया, जिसे चुकाने का कोई सही मैकेनिज्म न होने के कारण यह कर्ज दिनोंदिन लगातार बढ़ता ही चला जा रहा है. पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2018 में पाकिस्तान पर कुल देनदारियां और कर्ज 76 फीसदी था, जो वर्ष 2022 में बढ़कर 89.2 फीसदी पर पहुंच गया है. वर्ष 2021-22 की तुलना में इस साल पाकिस्तान पर 11.9 खरब रुपये का नया कर्ज जुड़ गया है.


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