Persecution of Ahmadiyya Muslims in Pakistan: पाकिस्तान भले ही खुद को इस्लामिक मुल्क कहते हुए नहीं अघाता हो लेकिन हकीकत ये है कि वहां पर केवल सुन्नी मुसलमानों का बोलबाला  है. वहां पर रहने वाले हिंदुओं और ईसाइयों की तो बात ही मत कीजिए बल्कि शिया और अहमदिया मुसलमानों को भी दोयम दर्जे का नागरिक माना जाता है. वहां पर आए दिन अहमदिया मुसलमानों पर हमले होते रहते हैं. यही नहीं, पाकिस्तान ने अपने संविधान में भी संशोधन कर अहमदियाओं को गैर मुस्लिम घोषित करके उनके कई बड़े अधिकार छीन रखे हैं. 


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सनकपन तक पहुंची नफरत


अब पाकिस्तान में अहमदिया मुसलमानों (Ahmadiyya Muslims in Pakistan) के प्रति ये नफरत सनक की हद तक जा पहुंची है. वहां पर मैंगो जूस को काफिर बताकर उसके खिलाफ अभियान चला जा रहा है और जूस की बोतलें फोड़ी जा रही हैं. असल में वहां पर शेजान कंपनी (Shezan Company) मैंगो जूस (Mango juice) बनाने के मामले में बड़ा ब्रांड बन चुका है. इस कंपनी का मालिक एक अहमदिया परिवार है. इसलिए सुन्नी मुसलमानों ने पहले शेजान कंपनी को काफिर की कंपनी घोषित किया. इसके बाद मैंगो जूस को ही काफिर बता दिया. 


मौलानाओं ने जूस को हराम घोषित किया


पूरे पाकिस्तान में शेजान कंपनी (Shezan Company) और उसके मैंगो जूस के खिलाफ घृणात्मक अभियान चलाया जा रहा है. पाकिस्तानी मौलाना आम के जूस (Mango juice) को अहमदिया और काफिर बताकर उसके बहिष्कार की अपील कर रहे हैं. कई इलाकों में इस कंपनी के मैंगो जूस पर बैन लगाया जा चुका है. इस कंपनी के उत्पादों की डिलीवरी करने वाली वैनों और ड्राइवरों पर हमले किए जा रहे हैं. 



मैंगो जूस के खिलाफ चलाया जा रहा अभियान


जिस शेजान कंपनी (Shezan Company) को लेकर यह सारा बवाल बचा हुआ है, उसकी स्थापना वर्ष 1964 में हुई थी. यह कंपनी आम का अचार, जूस, सिरप, चटनी, जैम, स्कवैश, सॉस और केचअप बनाती है. पाकिस्तान में इस कंपनी के खिलाफ इस तरह के अभियान अक्सर चलते रहते हैं लेकिन इस बार का बहिष्कार अभियान अति पार कर गया है. 


कौन होते हैं अहमदी?


सुन्नी मुसलमान मोहम्मद को इस्लाम का आखिर पैगंबर मानते हैं. वे छठी सदी में अरब में पैदा हुए थे. लेकिन मिर्जा गुलाम अहमद (Ahmadiyya Muslims in Pakistan) के अनुयायी उन्हें इस्लाम का आखिरी पैगंबर कहते हैं. उनका जन्म 19वीं सदी में हुआ था और उन्होंने पुनरुत्थानवादी इस्लामी आंदोलन शुरू किया था. इस्लाम की इस धारा को मानने वाले अधिकतर लोग पाकिस्तान, भारत और बांग्लादेश में बसे हुए हैं. पाकिस्तानी संसद 1974 में प्रस्ताव पास करके अहमदियाओं को गैर-मुस्लिम घोषित कर चुकी है.