परवेज मुशर्रफ ने स्वीकारा, उनके कार्यकाल के दौरान जैश ने भारत में हमले किए
जब उनसे पूछा गया कि सत्ता में रहने के दौरान उन्होंने जैश के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की तो मुशर्रफ ने कहा, “वह समय अलग था. हमारी खुफिया एजेंसी के लोग भारत एवं पाकिस्तान के बीच जैसे को तैसा वाली स्थिति में लगे हुए थे.``
इस्लामाबाद: पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने स्वीकार किया है कि उनके कार्यकाल के दौरान मसूद अजहर के आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने खुफिया एजेंसियों के निर्देशों पर भारत में हमले किए थे. वर्तमान में दुबई में रह रहे 75 वर्षीय मुशर्रफ ने कहा कि आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद पर पाकिस्तान सरकार की कार्रवाई एक अच्छा कदम है. इस संगठन ने दो बार उनकी भी हत्या करने की कोशिश की थी.
पुलवामा हमले की जिम्मेदारी
जैश ने हाल ही में 14 फरवरी को हुए पुलवामा हमले की जिम्मेदारी ली थी जिसके बाद से भारत एवं पाकिस्तान में तनाव बढ़ गया था. हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 40 जवान शहीद हो गए थे. पिछले महीने विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने सीएनएन के साथ एक साक्षात्कार में कहा था कि अजहर पाकिस्तान में मौजूद है लेकिन सरकार उसके खिलाफ तभी कार्रवाई कर सकती है जब भारत ऐसे “ठोस” एवं “अमिट” साक्ष्य प्रस्तुत करे जो अदालत में टिक सकें. हालांकि पाकिस्तानी सेना ने देश में आतंकवादी समूह की मौजूदगी से इनकार किया.
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मसूद अजहर का भाई और बेटा हिरासत में
पुलवामा हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ने के बीच पाकिस्तान ने मंगलवार को अजहर के बेटे एवं भाई समेत प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन के 44 सदस्यों को हिरासत में लिया. पाकिस्तान के सेना प्रमुख के तौर पर सेवा दे चुके मुशर्रफ ने कहा, “यह अच्छा कदम है. मैंने हमेशा से कहा है कि जैश-ए-मोहम्मद एक आतंकवादी संगठन है और उसने मेरी हत्या के लिए भी एक आत्मघाती हमले को अंजाम दिया था. उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.’’ साथ ही उन्होंने कहा कि जैश के खिलाफ बहुत पहले ही कदम उठाया जाना चाहिए था.
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जब उनसे पूछा गया कि सत्ता में रहने के दौरान उन्होंने जैश के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की तो मुशर्रफ ने कहा, “वह समय अलग था. हमारी खुफिया एजेंसी के लोग भारत एवं पाकिस्तान के बीच जैसे को तैसा वाली स्थिति में लगे हुए थे. उस वक्त यह सब जारी था और इन सबके बीच जैश के खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की गई. और मैंने भी इस पर जोर नहीं दिया.”
(इनपुट: भाषा से)