India-China Ties: भारत-चीन के बीच संबंध गलवान हिंसा के बाद लगातार तनावपूर्ण चल रहे हैं. संबंधों को पटरी पर लाने की तमाम कोशिशें की जा रही हैं. इस बीच चीन की सेना ने गुरुवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख के गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स के पेट्रोलिंग प्वाइंट (पीपी)-15 से चीन और भारतीय सेना का पीछे हटना शांति को बढ़ावा देने वाला कदम है.


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चीनी रक्षा प्रवक्ता सीनियर कर्नल टैन केफेई ने कहा कि चीन-भारत कोर कमांडर-लेवल की बैठक के 16वें दौर में बनी सहमति के मुताबिक, जियानन डाबन क्षेत्र में सीमा पर तैनात दोनों सेनाओं के सैनिकों ने हाल ही में योजनाबद्ध तरीके से एक साथ पीछे हटना शुरू किया. चीनी सेना गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में पीपी 15 को जियान डाबन कहती है.


चीनी कर्नल ने कही ये बात


चीनी सेना की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक केफेई ने कहा, यह दोनों पक्षों की राजनयिक और सैन्य स्तर पर बातचीत करने और प्रासंगिक सीमाई मुद्दों को सुलझाने का एक नतीजा है. यह सीमा पर शांति को बढ़ावा देने वाला कदम है.' उन्होंने कहा कि चीन को उम्मीद है कि दोनों पक्ष इसी दिशा में मिलकर काम करना जारी रखेंगे और ऐसा करते वक्त वे दोनों देशों और सेनाओं के बीच द्विपक्षीय संबंधों के हितों को ध्यान में रखेंगे समझौतों व आम सहमति का सख्ती से पालन करेंगे. 


मई 2020 में हुई थी झड़प


इसके साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि दोनों देश बातचीत रखेंगे, मतभेदों को दूर करेंगे और सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा और स्थिरता की संयुक्त रूप से रक्षा करेंगे. भारत लगातार कहता रहा है कि द्विपक्षीय संबंध मजबूत करने के लिए LAC पर शांति बनाए रखना जरूरी है. गतिरोध को हल करने के लिए दोनों सेनाओं ने कोर कमांडर स्तर की 16 दौर की बातचीत की. पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद पांच मई, 2020 को पूर्वी लद्दाख में तनाव बढ़ गया था. दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे हजारों सैनिकों के साथ-साथ भारी हथियार भी तैनात कर दिए थे.


भारत ने बढ़ाई ताकत


दूसरी ओर, भारतीय सेना ने चीन से लगी सीमा पर कई तरह के रॉकेट और तोपें तैनात कर गोलाबारी की अपनी ताकत में काफी इजाफा किया है. साथ ही, इसकी योजना और 100 के-9 वज्र होवित्जर और मानव रहित यान (यूएवी) समेत बड़ी संख्या में अतिरिक्त सैन्य साजो-सामान खरीदने की है. भारतीय थल सेना की तोपखाना इकाइयां, के-9 वज्र ‘ट्रैक्ड सेल्फ प्रोपेल्ड होवित्जर’, बेहद हल्की एम-777 होवित्जर, पिनाका रॉकेट सिस्टम और धनुष तोप सिस्टम पहले ही तैनात कर चुकी हैं.


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