बीजिंग: चीन (China) और अमेरिका (US) के बीच तनातनी एक बार फिर से बढ़ गई है. अमेरिका ने चीन की कंपनियों को ब्लैकलिस्ट (US Blacklisted Chinese Companies) कर दिया है. जिसके बाद चीन ने रविवार को कहा कि वह वीगर समुदाय (Uighur Muslims) और अन्य मुस्लिम जातीय अल्पसंख्यकों के साथ दुर्व्यवहार में कथित भूमिका को लेकर चीनी कंपनियों को ब्लैकलिस्ट में डालने की अमेरिका की कार्रवाई का जवाब देने के लिए ‘जरूरी कदम’ उठाएगा.


चीन ने किया अमेरिका के कदम का विरोध


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चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि अमेरिका का यह कदम ‘चीनी इंडस्ट्री का अनुचित दमन और अंतरराष्ट्रीय आर्थिक व्यापार नियमों का गंभीर उल्लंघन है.’


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अपनी कंपनियों के हितों की रक्षा करेगा चीन


मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि चीन अपनी कंपनियों के वैध अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए जरूरी कदम उठाएगा.


चीन ने शुरू की जवाबी कार्रवाई


चीन ने अपने पश्चिमी क्षेत्र शिनजियांग में वीगर समुदाय को लोगों को मनमाने ढंग से हिरासत में रखे जाने और उनसे जबरन काम कराने के आरोपों का खंडन किया है. साथ ही उसने अपनी कंपनियों और अधिकारियों के खिलाफ लगाई गई पाबंदियों के जवाब में वीजा और वित्तीय संबंधों पर प्रतिबंध लगाने शुरू कर दिए हैं.


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चीनी कंपनियों पर क्यों लगा प्रतिबंध?


गौरतलब है कि अमेरिकी वाणिज्य विभाग ने शुक्रवार को एक बयान में कहा था कि इलेक्ट्रॉनिक, टेक्नोलॉजी कंपनियों और अन्य बिजनेस यूनिट ने शिनजियांग में मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ 'चीन सरकार के दमन, सामूहिक हिरासत (Mass Detention) और हाईटेक सर्विलांस कैंपेन' को सक्षम करने में मदद की है. इन प्रतिबंधों के तहत अमेरिकी इन चीनी कंपनियों को सामान नहीं बेच सकते.


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