Pakistan Army News: लेफ्टिनेंट जनरल आसिम मुनीर पाकिस्तान के नए आर्मी चीफ होंगे. गुरुवार को राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने उन्हें इस पद पर नियुक्त किया. मुनीर खुफिया एजेंसी आईएसआई के पूर्व प्रमुख रहे हैं और सबसे सीनियर लेफ्टिनेंट जनरल हैं. इसी के साथ तख्तापलट की आशंका वाले पाकिस्तान में इस पद पर नियुक्ति को लेकर काफी समय से जारी अटकलों पर विराम लग गया. पाकिस्तान में सुरक्षा और विदेश नीति के मामले में सेना का काफी दखल रहा है. लेकिन कश्मीर मामलों और पुलवामा हमले के मास्टरमाइंड आसीम मुनीर का पाक आर्मी चीफ बनना इमरान खान के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. जनरल बाजवा का उत्तराधिकारी नियुक्त करने से रोकने के लिए इमरान खान ने सारे पत्ते खोल डाले थे. वह जानते हैं कि उनका राजनीतिक भविष्य इसी बात पर टिका है कि रावलपिंडी में नया बॉस कौन होगा. 


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अप्रैल में अविश्वास प्रस्ताव के जरिए निष्कासन के बाद से इमरान खान लगातार सरकार से चुनाव कराने का दबाव डाल रहे हैं. इमरान चाहते थे कि नई सरकार बनने तक पाकिस्तानी आर्मी चीफ की नियुक्ति को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाए. इमरान चाहते थे कि सत्ता में आने पर वह अपनी मर्जी से पाक आर्मी चीफ चुनते. लेकिन शहबाज शरीफ सरकार ने लेफ्टिनेंट जनरल मुनीर का नाम पाकिस्तान के नए आर्मी चीफ के लिए प्रस्तावित कर दिया, जिसके बाद इमरान खान का दांव फेल हो गया. 


क्यों है 36 का आंकड़ा


इमरान खान के लिए आसिम मुनीर उन 6 लोगों की लिस्ट में सबसे आखिरी थे, जिनका नाम नए पाक आर्मी चीफ के रूप में आगे चल रहा था.  लेफ्टिनेंट जनरल मुनीर ने दो सबसे शक्तिशाली खुफिया एजेंसियों इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) और मिलिट्री इंटेलिजेंस (एमआई) के प्रमुख के रूप में काम किया है. हालांकि वह अब तक सबसे कम समय के लिए आईएसआई प्रमुख रहे. आठ महीने के अंदर 2019 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान ने उनकी जगह अपने करीबी लेफ्टिनेंट जनरल फैज हामिद को आईएसआई प्रमुख नियुक्त किया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब इमरान खान पीएम थे, तब मुनीर ने उनकी पत्नी बुशरा बीबी के भ्रष्टाचार की बात उन तक पहुंचाई थी.  


मुनीर को मौजूदा आर्मी चीफ जनरल बाजवा का करीबी माना जाता है. इससे भी इमरान खान असहज होंगे, क्योंकि बाजवा पर भी उन्होंने आरोप लगाया था कि अप्रैल में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के दौरान उन्होंने उनकी सरकार बचाने के लिए पर्याप्त काम नहीं किया. खान ने सेना के कुछ बड़े अफसरों पर उनकी हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया था. 


अब क्या करेंगे इमरान?


इमरान खान को अब अगले साल होने वाले चुनावों का इंतजार करना होगा, जिसके जरिए वह सत्ता में वापसी के ख्वाब देख रहे हैं. लेकिन इस दौरान मुनीर फैक्टर बेहद अहम रहेगा. मुनीर के राजनीतिक संबंधों के बारे में थोड़ी जानकारी है लेकिन एक्सपर्ट्स कहते हैं कि बाजवा के पद छोड़ने के बाद सेना राष्ट्रीय राजनीति से खुद को दूर कर सकती है. 


हालांकि एक्सपर्ट्स कहते हैं कि सेना के राजनीति में दखल का इमरान खान को खूब फायदा मिला है. इसी के सहारे उन्होंने सत्ता का स्वाद चखा है. यह अब कोई सीक्रेट नहीं है कि सेना ने एक गठबंधन बनवाने में अहम भूमिका निभाई थी, जिसके जरिए साल 2018 में इमरान खान पंजाब और केंद्र में पीटीआई सरकार बनाने में कामयाब रहे थे. लेकिन अब इमरान खान एक अलग विकेट पर खड़े हैं. देखना होगा कि वह बोल्ड होते हैं या फिर मैच जीतने के लिए कोई तिकड़म लगाएंगे.


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