G 20 Summit 2023: क्या जी20 समिट से इतर चीन के पीएम से मिलेंगे जो बाइडेन, सामने आया ये बड़ा अपडेट
America China Relationship: चीन और अमेरिका के बीच तल्खी का ऐतिसाहिक संबंध है. चाहे मामला दक्षिण चीन सागर का हो या सेमीकंडक्टर का दोनों देश यह मानकर चलते हैं कि वो एक दूसरे के हितों को प्रभावित कर रहे हैं. इन सबके बीच क्या दिल्ली में चीनी पीएम ली कियांग और राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच मुलाकात होगी सस्पेंस बरकरार है.
Joe Biden- Li Qiang Meeting: जी 20 समिट 2023 में हिस्सा लेने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन(Joe Biden India Visit) भारत आ रहे हैं वहीं चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की जगह पीएम ली कियांग(chienese pm li qiang) हिस्सा बनेंगे. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या इन दोनों शख्सितों के बीच मुलाकात होगी. इस विषय पर राष्ट्रपति के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने है कहा कि फिलहाल दोनों के बीच मुलाकात की कोई योजना नहीं है. सुलिवन से यह सवाल चीनी नागरिकों के अमेरिकी सैन्य अड्डों में प्रवेश के मद्देनजर पूछा गया था. पत्रकारों ने पूछा था कि क्या अमेरिकी सरकार इस मुद्दे को नई दिल्ली उठाने की योजना बना रही है.
जिनपिंग बैठक में नहीं हो रहे हैं शामिल
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने जी 20 मीटिंग (G20 summit 2023 delhi) से दूरी बना ली है तो अमेरिकी राष्ट्रपति ने निराशा जाहिर की थी. बता दें कि जी 20 समिट में चीन के साथ साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (vladmir putin) और स्पेन के राष्ट्रपति भी शामिल नहीं हो रहे हैं. जी 20 बैठक को अमेरिका के राष्ट्रपति ने अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग मंच बताया. उन्होंने कहा कि सदस्य देशों को एक दूसरे के साथ सहयोग की भावना से आगे बढ़ना होगा. हमें यह समझना होगा कि आपसी सहयोग के जरिए ही इस तरह के माहौल का निर्माण किया जा सकता है जो वैश्विक जगत की बेहतरी के लिए जरूरी है.
क्या कहते हैं जानकार
जानकारों का कहना है कि चीन को इस बात का डर है कि कहीं वैश्विक फोरम पर उसे अप्रिय स्थिति का सामना ना करना पड़े. दक्षिण चीन सागर के मुद्दे पर अमेरिका के साथ तनातनी बरकरार है. इसके साथ व्यापारिक मुद्दे पर अमेरिका का और चीन एक दूसरे को प्रतिस्पर्धी मानते हैं. यूक्रेन-रूस प्रकरण (ukraine russia crisis) में भी चीन के रुख पर अमेरिका निराशा जाहिर करता रहा है. यही नहीं अगर आप उत्तर कोरिया की बात करें तो बाइडेन सरकार का मानना है कि बिना चीन के सहयोग किम जोंग उन बड़े फैसले नहीं कर सकते हैं.