बीजिंग: चीन (China) में बीजिंग के तियानमेन स्क्वायर (Tiananmen Square) पर जबरदस्त रौनक थी. बीजिंग की वो ऐतिहासिक जगह जहां लोकतंत्र की आवाज दफन है, वो तानाशाही के लाल पताके से पटी पड़ी थी. नीचे सत्तर हजार कार्यकर्ताओं की भीड़ जमा की गई थी. ऊपर चाइनीज मिलिट्री के हेलिकॉप्टर्स और जेट फाइटर जे-20 का फ्लाई पास्ट हो रहा था. चीन के आसमान में कभी शतक के निशान दिखाए जा रहे थे तो कभी चाइनीज विमान कलरफुल एयरोबैटिक्स दिखा रहे थे.


जिस चौक पर हुआ लोकतंत्र का कत्ल


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नीचे जमीन से शांति स्वरूप कबूतर उड़ाए जा रहे थे और ऊपर आसमान बैलून से पटा पड़ा था. ये किसी मुल्क का नहीं एक राजनीतिक दल का शताब्दी समारोह था. ये चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी (Chinese Communist Party) की स्थापना के सौ साल पूरे होने का मौका था, जब एक राजनीतिक दल का जश्न राष्ट्र से बड़ा बन गया. कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के बुलंद होते पताके के पीछे से शी जिनपिंग (Xi Jinping) की आवाज सुनाई दे रही थी.


तियानमेन स्क्वायर पर नए चीन के लोग थे. उनका नेता कम्युनिस्ट चाइना की सोशलिस्ट थ्योरी समझा रहा था. पार्टी की सुनो, पार्टी को मानो और पार्टी के आभारी रहो. दीवार पर लटका माओ का फोटो भी सुन रहा था, जो जिनपिंग बोल रहे थे. ये चीन तभी है जब कम्युनिस्ट पार्टी है और कम्युनिस्ट पार्टी तभी है जब जिनपिंग हैं. वही चीन को बचा सकते हैं. एक घंटे तक चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग बोलते रहे, लेकिन तालियां तब-तब बजीं जब-जब जिनपिंग ने झूठ बोला या डींगे हांकी.


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चीन की बड़ी-बड़ी डींगे


चाइनीज डींग नंबर 1 है, पहले 100 साल में हमने गरीबी हटा दी. अगले 100 साल में सोशलिस्ट देश बनेंगे. चाइनीज डींग नंबर 2 है, ताइवान को आजाद नहीं रहने देंगे. चाइनीज डींग नंबर 3 है, हांगकांग और मकाउ में फुल ऑटोनोमी है. चाइनीज डींग नंबर 4 है, कोई चीन को धमकाएया तो वो 140 करोड़ चीनियों के फौलाद से टकराकर लहूलुहान हो जाएगा.


इस पूरे जश्न और समारोह का लब्बोलुआब कुछ ऐसा था कि जिनपिंग अपने एक घंटे के भाषण में डेढ़ अरब चीनियों को ये समझाने की कोशिश कर रहे थे कि चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी बहुत अच्छा काम कर रही है.


चीन पर लगे ये  आरोप


जिनपिंग की अगुआई में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना वाली सरकार के ऊपर आरोप लग रहे हैं. शताब्दी वर्ष समारोह में जिनपिंग अपने देशवासियों के सामने चीन पर लग चुके उन्हीं अमिट दागों को धोते-पोंछते नजर आए क्योंकि जिनपिंग के तानाशाही काल में जिस तरीके से चीन के नाम पर पूरी दुनिया में कालिख लगी है, उससे कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के 9 करोड़ 52 लाख समर्थक भले इनकार करते हों लेकिन चीन में 130 करोड़ लोग और रहते हैं जो सीपीसी के सदस्य नहीं हैं. ये लोग जिनपिंग की तानाशाही वाली हरकतों के खिलाफ भी हो सकते हैं.


हांगकांग पर कब्जा, ताइवान पर धमकी


बीजिंग में जो समारोह हुआ, उसमें एक घंटे तक जिनपिंग बोले. उसमें जिनपिंग तीन ही बातें कहना चाहते थे. एक तो ये कि उनकी वाली कम्युनिस्ट पार्टी महान है. दूसरी ये कि चीन पर लग रहे सारे आरोप झूठे हैं. तीसरे ये कि वो आजाद ताइवान पर हर हाल में कब्जा करके मानेंगे.


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दुनिया से कितने झूठ बोलेगा जिनपिंग?


अब सोचिए जिस मुल्क का नेता उसी मंच से ये कहता है कि हांगकांग पूरी तरह स्वायत्त है. मकाउ में कुछ थोप नहीं रहे, वही नेता उसी मंच से कहता है कि ताइवान को तो छोड़ेंगे नहीं. आप इस मुल्क पर राज कर रही पार्टी की नीति और नेताओं की नीयत का अंदाजा इसी से लगा लीजिए. वैसे जब कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के 100 साल का जश्न मन रहा था तो लाखों लोग ऐसे भी थे जो चाइनीज कब्जे का दंश झेल रहे थे. चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी की नीतियों का खामियाजा दुनिया भुगत रही है.


शी जिनपिंग अपने मुंह मियां मिट्ठू चाहे जितना भी बन लें लेकिन दुनिया में अगर कहीं चीन का नाम लिया जाता है तो एक से बढ़कर एक विवाद और दाग सामने आते हैं.


चीन का दागदार चेहरा


जिस हांगकांग पर चीन ने जबरन कब्जा कर रखा है, वहां जश्न मनाया गया. चीन का झंडा पहले चढ़ता है और हांगकांग का बाद में. चीनी झंडा ऊंचा फहरता है और हांगकांग का नीचे. हांगकांग ऑटोनोमस रीजन की स्थापना का सालाना उत्सव मनाया गया. इस उत्सव में प्रशासक के नाम पर चीनी पिट्ठू हैं. फौजी हैं, परेड ब्रिगेड है और एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ है लेकिन हांगकांग के लोग नदारद हैं. हांगकांग के ये लोग 30 जून से ही सड़कों से गायब हैं.


हांगकांग की आजादी का लुटेरा चीन


हांगकांग के लोगों को जानवरों की तरह जिबह की हालत में दबोचा जा रहा है. उन्हें बेहोश करके घसीटा जा रहा है. बसों में भर-भर के जेल भेजा जा रहा है क्योंकि ये लोग हांगकांग पर चीनी अत्याचार के खिलाफ हैं.


एक मई को सीपीसी का शताब्दी समारोह मनाने से पहले चीन ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के नाम पर हांगकांग के निवासियों पर जो कहर ढाया है. उसे दुनिया खामोशी से देख रही है. दमनकारी कानून के खिलाफ आवाज क्या उठाई, 117 लोग गिरफ्तार कर लिए गए. 64 लोगों पर संगीन आरोप लगा दिए गए. आजीवन जेल में रखने का इंतजाम कर दिया गया.


चीनी कब्जे से तड़पता हांगकांग


आज हांगकांग वाले वही भुगत रहे हैं जिसका उन्हें डर था. एक साल से जिसके लिए सड़कों पर जान की बाजी लगाकर प्रदर्शन किया, उस स्वायत्तता को चीन ने दफ्न कर दिया. जिस हांगकांग में स्वायत्त शासन था. उस हांगकांग पर जबरन चाइनीज ड्रैगन ने कुंडली मार ली. हांगकांग अब पूरी तरह से चीन के कब्जे में है. जिनपिंग की सरकार के रहमोकरम पर है.


न जाने किस मुंह से राष्ट्रपति जिनपिंग हांगकांग की स्वायत्तता का दावा कर रहे थे. जबकि चंद दिनों पहले चीन ने हांगकांग के अखबार एप्पल डेली का प्रकाशन बंद करा दिया था. एक ऐसा अखबार जिसने हांगकांग की स्वायत्तता को लेकर आवाज बुलंद की थी. उसके दफ्तर पर अगस्त 2020 से ही छापे पड़ने लगे थे.


अखबार के मालिक जिमी लाई को झूठे आरोपों के तहत जेल में डाल दिया गया और जनवरी 2021 आते आते हांगकांग के समर्थन में खड़े होने वाले 63 नेताओं को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. आखिरकार पिछले महीने एप्पल डेली का प्रकाशन बंद कर दिया गया और जब दुनिया में इस पर सवाल उठे तो चीन ने कहा कि सब कुछ कानूनन हुआ है.


चीन में CPC के कारनामे की कहानी


चीन के पापों की चीत्कार दिल्ली में सुनाई पड़ती है. तिब्बत के लोगों की जमीन पर चीन ने कब्जा कर लिया है. भारत में चाइनीज दूतावास के सामने ये लोग अपना विरोध प्रदर्शन करते हैं. ये जानते हुए भी कि इनकी जमीन को चीन के चंगुल से शायद ही आजादी मिलेगी. लेकिन तिब्बतियों की इस आवाज ने उस आग को जलाए रखा है, जिसे पूरी दुनिया देखती है और जानती है कि चीन ने कहां-कहां और किनकी जमीनों पर कब्जा किया है.


आज जब चीन कोई उत्सव मनाता है और चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी की नीतियों और नीयत के दाग पोंछता है तो ये तिब्बती बताते हैं कि चीन की तारीख कितने महापापों से भरी है.


CPC का वायरस जैसा संक्रमण


चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के कारनामों और करतूतों की चर्चा हो रही है तो आपको कुछ और बातें बताना जरूरी है. उसमें एक तो ये कि 1920 के बाद चीन में कम्युनिस्ट विचारधारा इतनी तेजी से फैली, जैसे कोरोना वायरस फैलता है. मतलब 1921 में चीन में कम्युनिस्ट पार्टी के सिर्फ 50 समर्थक थे और 1925 में उनकी संख्या 1500 हो चुकी थी. दूसरी ये कि आज चीन पर जो राजनीतिक दल राज कर रहा है, उसने चाइनीज राष्ट्रभक्तों से युद्ध करके उनकी जमीन छीनी थी.


जमीनी कब्जे की नीति, नीयत में पाप


चांग काई शेक को राष्ट्रवादी दल का नेता माना जाता था और 24 साल के गृह युद्ध के बाद माओ की फौज ने उसी चांग काई शेक को ताइवान खदेड़कर चीन पर कब्जा किया था. तीसरी ये कि चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी की बुनियाद में ही विस्तारवाद का कीड़ा पड़ा हुआ है.


माओ से जिनपिंग तक नहीं बदला चीन


माओ की विरासत को जिनपिंग की तानाशाही में चीन आगे बढ़ा रहा है. चीन ने दक्षिण चीन सागर पर कब्जा जमाना शुरू कर दिया है. हांगकांग पर कब्जा कर चुका है. ताइवान पर कब्जे की तैयारी में है. भारत से भी उसका जमीन को लेकर विवाद है. बस इतना समझ लीजिए कि चीन के आसपास 17-18 देश हैं और हर किसी की जमीन और समुद्र पर चीन कब्जे की फिराक में रहता है. यही चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी की असली सूरत भी है.


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