China Fujian Carrier: चीन ने समंदर में उतारा 80,000 टन का फुजियान, जानिए इसमें कितना है दम?

China Fujian Carrier: चीन ने अपने तीसरे विमानवाहक पोत फुजियान का बुधवार को पहला समुद्री परीक्षण शुरू किया है. फुजियान को सबसे एडवांस घरेलू युद्धपोत बताया जा रहा है. दक्षिण चीन सागर और ताइवान जलडमरूमध्य में अमेरिका के साथ बढ़ते तनाव के बीच बीजिंग ने अपनी नौसैनिक शक्ति को बढ़ाते हुए इस युद्धपोत का परीक्षण शुरू किया है. ये युद्धपोत एक बार में 60 से 70 लड़ाकू जेट कैरी कर सकता है. ये वारशिप इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एयरक्राफ्ट लॉन्च सिस्टम (EMALS) और एडवांस्ड अरेस्टिंग गियर (AAG) तकनीक से लैस है. इस तकनीक के जरिए एक जगह पर खड़े फाइटर प्लेन को गुलेल की तरह तेज झटके से विमान में उड़ाया जा सकता है और ऊपर उड़ रहे प्लेन को बिना किसी झटके के अचानक रोका जा सकता है. आइए जानते हैं क्या है, इसकी खासियत?

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फुजियान को जून 2022 में पानी में उतारा गया था, जिसने नौबंध परीक्षण, उपकरण समायोजन और अन्य जरूरी परीक्षण पूरे कर लिए हैं. युद्धपोत ने समुद्री परीक्षण के लिए जरूरी तकनीकी आवश्यकताएं भी पूरी कीं. परीक्षण से पहले चीन ने यांगत्जे नदी के मुहाने के आसपास समुद्री यातायात पर नियंत्रण लगा दिया है, जहां जियांगनान शिपयार्ड जहाज 'सैन्य गतिविधियों' के लिए तैनात है. खबर के मुताबिक, यातायात नियंत्रण नौ मई तक रहेगा. फुजियन 80,000 टन से अधिक के पूर्ण विस्थापन के साथ चीन का सबसे बड़ा युद्धपोत है. 

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इस चीनी युद्धपोत को अमेरिकी नौसेना के गेराल्ड आरफोर्ड के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है. चीन के इस कदम पर भारत और अमेरिका की पैनी नजर है. ऐसा इसलिए क्योंकि चीन ने विवादित दक्षिण चीन सागर और ताइवान जलडमरूमध्य में वर्ष 2035 तक पांच से छह विमान वाहक पोत तैनात करने की योजना बनाई है. चीन, दक्षिण चीन सागर के अधिकांश हिस्से पर अपना दावा करता है. ताइवान जलडमरूमध्य चीन की मुख्य भूमि को ताइवान से अलग करता है. विमान वाहक पोत हासिल करने में चीन की रणनीति के बारे में जन मुक्ति सेना (पीएलए) के साथ चार दशक गुजार चुके वरिष्ठ कर्नल (सेवानिवृत्त) झोउ बो ने कहा कि चीन वतन से दूर संभावित युद्ध के लिए पोत के महत्व को देखता है.

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फुजियान में मौजूद तकनीक इसे भारी पेलोड और बढ़ी हुई ईंधन क्षमता के साथ बड़े फिक्स्ड-विंग विमानों को लॉन्च करने में मददगार बनाती है. हांगकांग के ‘साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ के मुताबिक चीन इसका आगे क्या इस्तेमाल करेगा, इसका खुलासा नहीं हुआ है. चीन, हिंद महासागर में भी अपनी शक्ति को बढ़ा रहा है. वर्तमान में दक्षिण चीन सागर में चीनी नौसेना का अमेरिका समर्थित फिलीपीन के नौसैनिक जहाजों के साथ गतिरोध जारी है.

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फिलीपीन, दक्षिण चीन सागर में सैकंड थॉमस टापू पर अपना दावा जताने की कोशिश कर रहा है जबकि चीन इसका कड़ा विरोध कर रहा है. चीन, दक्षिण चीन सागर के अधिकांश हिस्से पर अपना दावा करता है. वहीं फिलीपीन, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान चीन के इस दावे का सख्ती से विरोध करते हैं.

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चीन का पहला विमानवाहक पोत लियाओनिंग का 2012 में जलावतरण किया गया था. यह पोत सोवियत-युग के जहाज का एक नया संस्करण था. इसके बाद 2019 में स्वदेशी रूप से निर्मित दूसरा विमानवाहक पोत शेडोंग बनाया गया था. इस फुजियान की बात करें तो इसमें गश्ती विमानों से लेकर चेतावनी और नियंत्रण तक का सारा इंतजाम शामिल है. यूरेशियन टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कई टगबोटों की सहायता से जहाज को अपनी बर्थ से बाहर निकाल गया. सोशल मीडिया पर शेयर कुछ तस्वीरों में कहा गया है कि समुद्री परीक्षण से पहले आतिशबाजी भी की गई. 

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फुजियान को बुधवार सुबह 8 बजे के ठीक बाद समुद्र में छोड़ा गया था. विमानवाहक पोत को चीन की नौसेना द्वारा सेवा में लगाए जाने से पहले समुद्री परीक्षण अंतिम चरण है. इस प्रक्रिया में एक साल तक का समय लगने की उम्मीद है. फुजियान से भारत को सीधे कोई बड़ा खतरा नहीं है, लेकिन इस ट्रायल ने भारत, अमेरिका समेत सभी प्रतिद्वंदी देशों को अपनी सैन्य क्षमताएं बढ़ाने के लिए मजबूर कर दिया है. 

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