Navratri 2024: नवरात्रि में प्याज-लहसुन से बना लें दूरी, शरीर को मिलेंगे 5 गजब के फायदे
नवरात्रि का पर्व बस आने ही वाला है और लोग नौ दिनों तक चलने वाले इस पवित्र उत्सव की तैयारियों में जुटे हैं. इस दौरान कई धार्मिक नियमों का पालन किया जाता है, जिनमें खानपान की सीमाओं का भी खास महत्व होता है. नवरात्रि के दौरान प्याज और लहसुन का सेवन वर्जित माना जाता है, जिसे आयुर्वेद में तामसिक फूड की श्रेणी में रखा गया है. तामसिक भोजन वह होता है जो शरीर में आलस्य, क्रोध और नेगेटिव का संचार करता है. नवरात्रि में इन चीजों का त्याग न सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रतीक होता है, बल्कि यह सेहत के लिए भी लाभकारी साबित हो सकता है. इस पवित्र समय में प्याज और लहसुन से परहेज करने से शरीर को कई लाभ मिलते हैं, जैसे पाचन तंत्र का बेहतर होना और मन की शांति का अनुभव. आइए जानते हैं कि नवरात्रि में इन तामसिक चीजों को छोड़ने के क्या स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं.
1. पाचन तंत्र में सुधार
प्याज और लहसुन की तासीर गर्म होती है, जो कई बार पेट में जलन और एसिडिटी का कारण बन सकती है. नवरात्रि के दौरान इनका सेवन न करने से पाचन तंत्र पर पॉजिटिव असर पड़ता है और पेट से संबंधित समस्याओं से राहत मिलती है. इससे आपके पाचन तंत्र को आराम मिलता है और गैस, एसिडिटी जैसी समस्याएं कम होती हैं.
2. मानसिक शांति में वृद्धि
आयुर्वेद के अनुसार, प्याज और लहसुन तामसिक भोजन होते हैं, जो शरीर में उग्रता, गुस्सा और उत्तेजना को बढ़ावा देते हैं. नवरात्रि के दौरान इनसे परहेज करने से मानसिक शांति मिलती है और मन स्थिर रहता है. ध्यान और पूजा के समय यह आपकी एकाग्रता को बढ़ाने में मददगार होता है.
3. शरीर की एनर्जी को शुद्ध करता है
प्याज और लहसुन खाने से शरीर में भारीपन महसूस हो सकता है, जो उपवास के दौरान अप्रिय होता है. इनसे दूरी बनाए रखने से शरीर की एनर्जी हल्की और शुद्ध रहती है, जिससे उपवास के दौरान एनर्जी का लेवल बेहतर बना रहता है और आप हल्का व ताजगी भरा महसूस करते हैं.
4. हार्मोनल बैलेंस में मदद
प्याज और लहसुन में कुछ ऐसे तत्व होते हैं जो हार्मोनल असंतुलन का कारण बन सकते हैं. नवरात्रि के दौरान इन्हें न खाने से हार्मोनल बैलेंस बनाए रखने में मदद मिलती है, जिससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर रहता है.
5. शुद्धता और पवित्रता का अनुभव
नवरात्रि के दौरान प्याज और लहसुन से परहेज करने का एक धार्मिक कारण भी है. यह शारीरिक और मानसिक शुद्धता को दर्शाता है, जो कि उपवास और पूजा के समय आवश्यक मानी जाती है.