जिनके आविष्कार से आज `उड़` पाता है इंसान, कहानी हवाई जहाज बनाने वाले राइट ब्रदर्स की

The Wright brothers story: उड़ने की क्षमता तमाम पौराणिक कथाओं और साहित्य का एक रोमांचकारी पहलू रही है. सदियों से, मनुष्य गुब्बारे, पतंग और ग्लाइडर के जरिए आसमान में उड़ते रहे हैं. इसके बावजूद, 20वीं सदी की शुरुआत तक ऐसा कोई साधन न था, जो इंसान को जब चाहे, तब आसमान की सैर करा पाता. यहीं `राइट ब्रदर्स` की एंट्री होती है. विल्बर और ऑरविल राइट ने हवाई जहाज का आविष्कार कर न केवल लंबे समय से चली आ रही तकनीकी समस्या को हल किया, बल्कि हवा में एक अलग और नई दुनिया बनाने में मदद की. पढ़‍िए कहानी हवाई जहाज के आविष्कार की, जो राइट ब्रदर्स की कहानी भी है.

दीपक वर्मा Dec 16, 2024, 21:25 PM IST
1/5

राइट ब्रदर्स में कहां से आया उड़ने का जुनून?

विल्बर और ऑरविल का जन्म इंडियाना (US) के एक बिशप- मिल्टन राइट के घर हुआ था. विल्बर 1867 में जन्मे और चार साल बाद, 1971 में ऑरविल का जन्म हुआ. ईसाई उपदेशक होने की वजह से मिल्टन को खूब यात्रा करनी पड़ती. वह इन यात्राओं से लौटते समय अक्सर बच्चों के लिए खिलौने लाया करते. 1878 में वह एक ऐसा खिलौना घर लाए जिसकी वजह विल्बर और ऑरविल के साथ-साथ एक दिन पूरी दुनिया बदलने वाली थी. वह खिलौना था एक छोटा सा मॉडल हेलीकॉप्टर. कॉर्क, बांस और कागज से बना वह हेलीकॉप्टर एक रबड़ बैंड से चलने वाले ब्लेड्स के सहारे उड़ता था.

यह हेलीकॉप्टर खिलौना फ्रांसीसी एयरोनॉटिकल इंजीनियर अल्फोंस पेनॉड के डिजाइन पर आधारित था. विल्बर और ऑरविल इस खिलौने की मैकेनिक्स से बड़ा प्रभावित हुए. विल्बर का पढ़ाई में खूब मन लगता था और वह येल यूनिवर्सिटी जाने की तैयारी कर रहे थे लेकिन 1885-86 में एक हादसे ने सब कुछ बदल दिया. एक हॉकी गेम में उनका चेहरा बुरी तरह जख्मी हो गया. चोट तो ठीक हो गई, लेकिन विल्बर डिप्रेशन में चले गए. इस दौरान किसी ने उनका साथ दिया तो वह थे उनके भाई- ऑरविल. (Photo : Library of US Congress)

2/5

साइकिल से हवाई जहाज तक का सफर

1889 में, राइट बंधुओं ने अपना अखबार शुरू किया, West Side News. विल्बर अखबार के एडिटर थे और ऑरविल पब्लिशर. दोनों को साइकिल से भी प्यार था, उस वक्त पूरे अमेरिका में साइकिलें छाई हुई थीं. 1892 में विल्बर और ऑरविल ने एक दुकान खोली, जहां वे साइकिलें ठीक करते थे और अपनी खुद की डिजाइन वाली साइकिलें बेचते थे.

राइट ब्रदर्स की मैकेनिकल प्रोजेक्ट्स में गहरी दिलचस्पी थी और वे वैज्ञानिक रिसर्च पर नजर रखते थे. खासतौर पर जर्मन एविएटर ओटो लिलिएनथल की रिसर्च को बारीकी से फॉलो करते. जब लिलिएनथल एक ग्लाइडर दुर्घटना में जान गंवा बैठे तो राइट ब्रदर्स ने उड़ान के साथ अपने प्रयोग शुरू करने की सोची. वह एक सफल डिजाइन बनाना चाहते थे. विल्बर और ऑरविल अब उत्तरी कैरोलिना के किट्टी हॉक की ओर चल पड़े, जो अपनी तेज हवाओं के लिए जाना जाता है. दोनों की आंखों में एक ही सपना था- पहला हवाई जहाज बनाना. (Photo : US Air Force Archive)

3/5

दुनिया की पहली सफल उड़ान

विल्बर और ऑरविल ने कई डिजाइन पर काम किया. तमाम प्रोटोटाइप असफल रहे. फिर उन्होंने देखा कि पक्षी कैसे अपने पंखों को एक कोण पर मेंटेन करके, खुद को संतुलित रख उड़ान भरते हैं. उनके दिमाग में एक विचार कौंधा जिसे दुनिया आज 'विंग वार्पिंग' के नाम से जानती है. जब राइट ब्रदर्स ने उसके साथ एक हिलने-डुलने वाला रडर जोड़ा तब उन्हें अहसास हुआ कि उन्होंने इतिहास रच दिया है.

17 दिसंबर, 1903 को राइट ब्रदर्स पहली बार बिजली से चलने वाले, हवा से भारी विमान की स्वतंत्र, नियंत्रित उड़ान भरने में सफल रहे. विल्बर ने अपने विमान को 59 सेकंड तक 852 फीट की दूरी तक उड़ाया, जो एक असाधारण उपलब्धि थी. लेकिन चुनौतियां अभी और थीं. उड़ान विशेषज्ञों के साथ-साथ मीडिया के एक बड़े हिस्से ने भी उनके दावे को मानने से इनकार कर दिया.

राइट ब्रदर्स ने अपने विमान बेचने का कोई और ठिकाना खोजने की सोची. विल्बर ने यूरोप का रुख किया और पाया कि फ्रांस में लोग उनके विमान में उड़ान भरने को बड़ा उत्साहित हैं. विल्बर ने पत्रकारों, नेताओं और अधिकारियों को उनकी पहली हवाई यात्रा का अनुभव कराया. 1909 में ऑरविल भी यूरोप पहुंच गए और उनकी छोटी बहन कैथरीन भी. तीनों वहां किसी सेलिब्रिटी से कम नहीं थे. उन्हें राजमहलों में बुलाया जाता, उनके हवाई जहाज की तस्वीरें अखबारों में छपतीं. राइट ब्रदर्स ने यूरोप में विमान बेचना शुरू कर दिया था. (Photo : National Park Service, US)

4/5

विवादों का साया और विल्बर की मौत

1909 के आखिर तक, राइट ब्रदर्स अमेरिका लौट आए और 1910 में 'राइट कंपनी' की नींव डाली. इसी कंपनी के बैनर तले वे हवाई जहाज बनाने और बेचने लगे. हालांकि, विल्बर जल्दी ही राइट्स द्वारा दायर किए गए कई पेटेंट उल्लंघन के मुकदमों में व्यस्त हो गए. उनके लिए यह पैसे के साथ-साथ सिद्धांत का भी मामला था. राइट ब्रदर्स का माननाथा कि उनका आविष्कार अद्वितीय रूप से उनका अपना और क्रांतिकारी था. उन्हें इसका उचित श्रेय और मुआवजा दिया जाना चाहिए. मुकदमेबाजी के बोझ से थके और फिर तनाव में डूब चुके विल्बर को अप्रैल 1912 में टाइफाइड बुखार हो गया. 30 मई को 45 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हो गई.

भाई की मौत से दुखी, ऑरविल ने 1915 तक राइट कंपनी में अपना हिस्सा बेच दिया था. 1916 में उन्होंने उस साइकिल वाली दुकान की लीज भी छोड़ दी जहां दोनों भाइयों ने पहले हवाई जहाज का खाका खींचा था. ऑरविल ने जिंदगी के बाकी 32 साल एक एविएशन एक्सपर्ट के रूप में बिताए. सरकारी एजेंसियां और निजी विमान कंपनियां उनसे सलाह लेने आती थीं. ऑरविल को उन्हें यूरोप और अमेरिका के विश्वविद्यालयों से 11 मानद उपाधियां मिलीं, साथ ही दर्जनों पुरस्कार और पदक भी. (Photo : National Park Service, US)

 

5/5

राइट ब्रदर्स की विरासत है एविएशन इंडस्ट्री!

ऑरविल और उनके भाई को जिस उपलब्धि ने दुनियाभर में ख्याति दिलाई, वही उनकी मौत की वजह बनी. उड़ान में कंपन ने ऑरविल की साइटिक तंत्रिका को गंभीर रूप से परेशान कर दिया था. उन्होंने 1918 में एक पायलट के रूप में आखिरी बार उड़ान भरी, और उसके बाद केवल कुछ बार एक यात्री के रूप में. सौभाग्य से, वे लंबे समय तक जीवित रहे. 27 जनवरी, 1948 को चार महीनों में दूसरा दिल का दौरा पड़ने के बाद, तीन दिन बाद 76 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हो गई.

राइट ब्रदर्स की खास रिसर्च तकनीकें, जन्मजात कौशल के साथ मिलकर इतिहास बना गईं. राइट ब्रदर्स के मूल डिजाइन तत्वों और वैमानिकी इंजीनियरिंग के नजरिए का इस्तेमाल तब से सभी सफल हवाई जहाजों में किया गया है. एक तरह से कहें तो पूरी की पूरी एविएशन इंडस्ट्री ही राइट ब्रदर्स की विरासत है! (Photo by NASA)

ZEENEWS TRENDING STORIES

By continuing to use the site, you agree to the use of cookies. You can find out more by Tapping this link