मुंबई: महाराष्ट्र (Maharashtra) के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) को जान से मारने की धमकी भरा पत्र आया है, जिसके बाद मुंबई की मरीन ड्राइव पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है. 15 अक्टूबर को इस मामले में मामला दर्ज किया गया है. महाराष्ट्र के गृह मंत्रालय के कक्ष अधिकारी को एक पत्र मिला है, जिसमें लिखा गया है कि बीजेपी ईडी और सीबीआई का डर दिखाकर दूसरे पार्टी की नेताओं पर दबाव बनाने का काम कर रही है. ये पत्र नांदेड़ के लोहा तालुका के एक गांव से आया है. ये धमकी भरा पत्र मिलते ही इसकी जानकारी स्थानीय पुलिस को दी गई है, जिसके बाद आईपीसी की धारा 506 के तहत मरीन ड्राइव पुलिस ने मामला दर्ज कर के जांच शुरू कर दी है.


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पत्र में लिखा है, 'आप नेताओं को ईडी और सीबीआई का डर दिखा रहे हो और लालच देकर पक्षान्तर भी करा रहे हो, आपने बहुत पार्टियों को तोड़ा है जो मुझे पसंद नहीं आई है. गलत नीतियों के चलते हम मंदी की मार झेल रहे हैं. हमारे गांव में अगर कोई आपकी पार्टी का झंडा लेकर दिखा या किसी को ईडी या सीबीआई का डर दिखाया तो मंत्रालय में घुस कर एनकाउंटर कर दूंगा.' इस धमकी भरे पत्र के बाद मुंबई पुलिस ने मरीन ड्राइव पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कर ली है और आगे की जांच शुरू कर दी है.


मालूम हो कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra Assembly Elections 2019) में जितने भी दल, जितने भी उम्मीदवार और जितने भी स्टार प्रचारक हिस्सा ले रहे हैं, उनमें से यदि सबसे ज्यादा दांव किसी का लगा है, तो वह हैं मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis). इस चुनाव में यदि भाजपा 122 से अधिक सीटें जीतती है तो फडणवीस इतिहास रचेंगे, लेकिन यदि पार्टी इस आंकड़े से पीछे रह जाती है तो मुख्यमंत्री बन जाने के बावजूद उनकी राजनीतिक राह कठिन हो जाएगी. फडणवीस इस बात को समझते हैं, और इसी कारण वह प्रचार में दिन-रात पसीना बहा रहे हैं. अब तक वह 50 चुनावी सभाएं कर चुके हैं, और 19 अक्टूबर तक 58 सभाएं कर लेंगे.


इस तरह 2014 में भाजपा के प्रधानमंत्री पद का दावेदार बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने पूरे देश का तूफानी दौरा किया था, उसी तरह महाराष्ट्र (Maharashtra) में सरकार की बागडोर दूसरी बार संभालने के लिए कृतसंकल्प मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) पिछले 75 दिनों से राज्य के कोने-कोने में नॉनस्टॉप चुनाव प्रचार कर रहे हैं. विधानसभा चुनाव की घोषणा होने के करीब दो महीने पहले से सक्रिय फडणवीस करीब-करीब हर विधानसभा का दौरा कर चुके हैं. दरअसल, 288 सदस्यीय राज्य विधानसभा में इस बार भाजपा को 122 सीटों से आगे ले जाने की जिम्मेदारी केवल और केवल देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) के ही कंधे पर है.


भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने वस्तुत: 2014 के विधानसभा चुनाव में राज्य के किसी भी नेता को मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट नहीं किया था. सीटों के बंटवारे के मुद्दे पर सहयोगी शिवसेना के साथ गंभीर मतभेद के कारण दोनों भगवा दलों का गठबंधन भी नहीं हो सका था. पिछले चुनाव में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे भाजपा को 127 से अधिक सीटें देने को तैयार नहीं थे. दोनों दल अलग-अलग चुनाव मैदान में उतरे. भाजपा अपने दम पर 122 सीटें जीतने में कामयाब रही थी और बहुमत से केवल 23 सीट पीछ रह गई. सरकार बनाने के लिए उसे मजबूरन 63 सीटें जीतने वाली शिवसेना के साथ चुनाव बाद गठबंधन करना पड़ा था. क्रमश: 41 और 40 सीटें जीतने वाली कांग्रेस और राकांपा को विपक्ष में बैठना पड़ा था.


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इसके विपरीत 2019 के विधानसभा चुनाव में राजनीतिक परिदृश्य पूरी तरह बदला हुआ है. इस बार भाजपा शिवसेना का चुनावी गठबंधन है. भाजपा निर्विवाद बड़े भाई की भूमिका में है, जबकि शिवसेना छोटे भाई के किरदार में है. भाजपा 164 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि शिवसेना ने 124 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने खुद घोषणा की है कि चुनाव देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) के नेतृत्व में लड़ा जा रहा है. जाहिर है, इस परिस्थिति में मुख्यमंत्री पर इस बार 122 सीटों में इजाफा करने की गंभीर जिम्मेदारी है.


चुनाव के बाद अगर भाजपा 130 से 140 सीटें जीतती है तो उसका श्रेय निश्चत रूप में फडणवीस को जाएगा और राज्य में उनके नेतृत्व को चुनौती देने वाला कोई नेता नहीं होगा. लेकिन अगर भाजपा की सीटें 122 से कम हो गईं तो मुख्यमंत्री के विरोधी निश्चित रूप से सिर उठाएंगे. खासकर जिन सीनियर नेताओं के टिकट काटे गए हैं, वे देवेंद्र का मुखर विरोध करेंगे. इसी के मद्देनजर मुख्यमंत्री ने राज्य विधानसभा में घोषणा कर दी थी कि उनकी सरकार दोबारा सत्ता में आ रही है.