होम लोन हुआ फिर महंगा, जानें क्या रहेगा एनसीआर रियल्टी मार्केट पर असर
Repo Rate महंगा होने का असर ब्याज दर पर पड़ेगा और ईएमआई भी बढ़ जाएगी. इसके साथ ही रेपो रेट बढ़कर 6.25 फीसदी हो गया. इससे पहले 30 सितम्बर को केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट बढ़ाकर 5.90 प्रतिशत कर दिया था.
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की तीन दिन से चल रही मौद्रिक समीक्षा नीति की बैठक बुधवार को खत्म हो गई. बैठक के बाद आरबीआई (RBI) ने नए साल से पहले आम आदमी को झटका देते हुए रेपो रेट में 35 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की घोषणा की है. रेपो रेट महंगा होने का असर ब्याज दर पर पड़ेगा और ईएमआई भी बढ़ जाएगी. इसके साथ ही रेपो रेट बढ़कर 6.25 फीसदी हो गया. इससे पहले 30 सितम्बर को केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट बढ़ाकर 5.90 प्रतिशत कर दिया था.
एमपीसी में लगातार पांचवीं बार रेपो रेट बढ़ने से होम लोन और ऑटो लोन जैसे सभी तरह का कर्ज महंगा हो जायेगा जिसका असर सीधा आम आदमी पर पड़ेगा. ऐसे में एनसीआर, जहां रियल एस्टेट सबसे प्रमुख माना जाता है उसमें सेक्टर क्या असर रहेगा. बिल्डर और बायर्स की माने तो ऐसे में सेक्टर अपनी रफ़्तार को आगे नहीं बढ़ा पायेगा. इससे ना सिर्फ घरों की बिक्री पर असर पड़ेगा बल्कि नए प्रोजेक्ट लॉन्च पर भी सीधा असर पड़ेगा.
सीएमडी गौड़ ग्रुप और प्रेसिडेंट क्रेडाई एनसीआर मनोज गौड़ ने कहा मौजूदा रेपो दर में 35 आधार अंकों की बढ़ोतरी रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए उत्साहजनक नहीं है. इस साल मई के बाद से यह पांचवीं वृद्धि है और इन आठ महीनों में ही 2.25% की बढ़ोतरी हुई है. इस लगातार बढ़ोतरी से निश्चित रूप से सेक्टर को नुकसान होगा. बढ़ती इनपुट लागतों के साथ इस क्षेत्र पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा. हमें पूरी उम्मीद है कि यह आरबीआई की आखिरी दर वृद्धि होगी, वरना रियल एस्टेट क्षेत्र में उछाल गायब हो जाएगा जो प्रमुख रूप से अर्थव्यवस्था को चला रहा है.
एसकेए ग्रुप के डायरेक्टर संजय शर्मा ने कहा कि वर्तमान में मुद्रास्फीति करीब 6.77 पर है, जिसे कम करना एक चुनौती है और आरबीआई अपने व्यापक दृष्टिकोण के तहत इसे कम करने का प्रयास कर रहा है. यह इसलिए भी चुनौतिपूर्ण है क्योंकि मुद्रास्फीति वैश्विक स्तर पर बढ़ रही है. हालांकि आरबीआई के इस कदम से मुद्रास्फीति से थोड़ी राहत मिल सकती क्योंकि सितम्बर में यह 7 प्रतिशत पर थी और या अब 7 से कम है. महंगाई कम होने का फायदा अप्रत्यक्ष रूप से रियल एस्टेट सेक्टर को होगा और दूसरी और मांग बढ़ने से जीडीपी ग्रोथ को भी सपोर्ट मिलेगा.
मिगसन ग्रुप के एमडी यश मिगलानी ने कहा कि आरबीआई का फैसला उचित लगता है क्योंकि भारत मुद्रास्फीति की मंदी के कगार पर खड़ा है. रेपो रेट में 35 बीपीएस की बढ़ोतरी के फैसले से घर की कीमतों और होम लोन की ब्याज दरों में तेजी से बढ़ोतरी होगी. लेकिन साथ ही यह रियल्टी क्षेत्र को लाभ पहुंचाएगा और काफी गति देगा. हाउसिंग डिमांड में अप्रत्याशित गिरावट आई है जो 2023 में उच्च स्तर पर बनी रहेगी. रेपो रेट में बढ़ोतरी का रियल एस्टेट की मांग पर प्रमुख प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन आरबीआई के इस कदम से मुद्रास्फीति को रोकने में मदद मिलेगी जो रियल्टी क्षेत्र को भी प्रभावित करती है. लेकिन लगातार रेपो दर में बढ़ोतरी का खतरनाक परिणाम यह है कि यह मध्यम आय वर्ग के घरों के सामर्थ्य को कमजोर कर देगा.
वेस्टर्न यूपी क्रेडाई के अध्यक्ष अमित मोदी ने कहा कि मौजूदा रेपो दर में 35 आधार अंकों की बढ़ोतरी रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए अच्छा नहीं है, खासकर तब जब यह सेक्टर ने महामारी के प्रकोप से बाहर निकलना शुरू ही किया है. डेवलपर्स और खरीदारों को अपने मौजूदा ऋणों की सेवा के लिए और अधिक पैसा देना होगा. यह नए लॉन्च और नए घर की खरीद को भी प्रभावित करेगा. बढ़ती इनपुट लागत से रियल एस्टेट परियोजनाओं की लागत भी बढ़ेगी. इस फैसले से सबसे ज्यादा असर किफायती सेगमेंट पर पड़ेगा.
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